13 अप्रैल 1919 जालियांवाला बाग हत्याकांड…जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी..!
(शशि कोन्हेर) : आज से 104 साल पहले 13 अप्रैल 1919 में हुए रोलेट एक्ट के विरोध में जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुए निहत्थे और बेकसूर देशवासियों पर हत्याकांड में जनरल ओ डायर ने गोलियां चलवा दीं.. (सरकारी दावा) 492 से .( गैर सरकारी दावा) 1500 तक लोग हुए शहीद..!
अमृतसर के जालियांवाला बाग की मिट्टी सर माथे पर..! यह वही बाग और वही माटी है..! जहां 13 अप्रैल 1919 को जनरल ओ डायर ने हजारों निहत्थे और बेकसूरों पर बेमुरव्वती से चलवा दी गोलियां। जनरल ओ डायर के इशारों पर हुए इस हत्याकांड में 492 लोग शहीद हुए थे। इसमें शहीद होने वाले देशवासियों की संख्या को लेकर कई तरह की बातें उल्लेखित हैं।
अंग्रेजों द्वारा बनाए गए रोलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुए लोगों पर चलाई गई गोलियों में गैर सरकारी आंकड़ों अर्थात जनता के अनुसार 15 सौ से अधिक लोग मारे गए थे और 2000 से अधिक घायल हुए थे। पंजाब के सबसे बड़े पर्व बैसाखी के दिन हुए इस हत्याकांड को लेकर अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची दर्ज है।
ब्रिटिश राज के अभिलेख में 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार की गई है। जिनमें 337 पुरुष और 41 नाबालिग लड़के तथा एक 6 सप्ताह का बच्चा भी शामिल था। इस हत्याकांड के वक्त मात्र 21 वर्ष के थे सरदार उधम सिंह। उन्होंने उसी समय निहत्थे और बेकसूर भारत वासियों पर गोलियां चलवाने वाले “जनरल ओ डायर* को जान से मारने की सौगंध ले ली थी। और 21 साल तक इस आग को सीने में दबाए रखा।
कहा जाता है कि उधम सिंह का असली नाम शेर सिंह था। पासपोर्ट बनाने के लिए उन्होंने उधम सिंह नाम का उपयोग किया। ओ डायर की हत्या का संकल्प लेने वाले इस युवा को आखिरकार 13 मार्च 1940 को लंदन में वह मौका मिल ही गया। और उन्होंने भरी सभा में जनरल ओ डायर पर दनादन गोलियां दागकर जालियांवाला बाग हत्याकांड का बदला ले लिया। इसके बाद हंसते हंसते फांसी पर चढ़ गये।
देश की आजादी के 50 साल बाद 1997 में भारत पहुंची महारानी एलिजाबेथ ने जालियांवाला बाग पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने जालियांवाला बाग के विजिटर्स बुक में लिखा कि यह ब्रिटिश इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना थी।