बिलासपुर में सड़क के नीचे 360 करोड़ रुपयों का…तो रायपुर में सड़क के ऊपर 35 करोड़ रुपयों का हुआ अंतिम संस्कार..
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। मामला बिलासपुर और रायपुर का है। बेहद गंभीर मामला है। इसकी गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है कि रायपुर प्रदेश की राजधानी है, तो बिलासपुर प्रदेश की न्यायधानी.. दोनों जगहों पर बड़े-बड़े अधिकारी, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और न्याय के देवता विराजमान हैं। इसके बावजूद महज कुछ लोगों की लापरवाही के चलते इन दोनों शहरों में कुल मिलाकर 395 करोड़ रुपए का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इन रुपयों का दोष मात्र इतना था कि इन्हें जनहित के नाम पर ऐसी दो योजनाओं के लिए सरकारी खजाने से निकाला गया था, जो कभी भी ना तो पूरी होनी थीं..और ना ही पूरी हुई। इनमें से एक योजना बिलासपुर की भूमिगत नाली योजना (थी) है। और दूसरी रायपुर की स्काईवॉक..!
बिलासपुर की भूमिगत नाली योजना की मौत (देह शांत) पहले ही हो चुकी है। अभी तक बस अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। 210 करोड रुपए की भूमिगत नाली योजना बिलासपुर में सन 2008 में शुरू हुई थी। और जिसे हर हाल में सन 2010 समाप्त होने के पहले, पूरा हो जाना था। जरा सोचिए इस समय सन 2022 चल रहा है। और बिलासपुर की यह भूमिगत नाली योजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। यह पूरी होगी भी अथवा नहीं.? और किसी तरह अगर पूरी हो भी गई तो… सफलता से काम करेगी या नहीं..? इस बारे में कोई माई का लाल गारंटी के साथ ताल ठोक कर दावा नहीं सकता।
आपको बता दें कि जब यह योजना शुरू हो गई थी। तब इसे लगभग 210 करोड़ रुपए (की लागत) में पूरा हो जाना था। लेकिन बाद में इसकी निर्माण लागत बढ़ाकर 422 करोड़ 94 लाख कर दी गई। लेकिन दुखद यह है कि खजाने से निकाले गए जनता की गाढ़ी कमाई के 360 करोड़ रुपए इस पर खर्च (स्वाहा) करने के बाद भी योजना का भगवान ही मालिक है। हम यह आधिकारिक रूप से तो नहीं कह रहे। लेकिन जनता में आम चर्चा है कि यह योजना कब की मर चुकी है। अब उसकी केवल लाश मौजूद है। जिसका कफन दफन भर बाकी है। इस तरह बिलासपुर में भूमिगत नाली योजना के नाम पर सरकारी खजाने को 360 करोड रुपए का फटका लगा दिया गया।। और सभी जिम्मेदार लोगों ने इस योजना के बारे में कुछ भी बोलना बंद कर अपने मुंह में ताले लगा लिए हैं।
बिलासपुर में अगर सरकारी खजाने के 360 करोड़ों रुपए स्वाहा हो चुके हैं। तो हमारे प्रदेश की राजधानी रायपुर भी कम नहीं है। वहां तो जय स्तंभ चौक से शास्त्री चौक होते हुए मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल तक जमीन के ऊपर “स्काईवॉक” बनाने के नाम से 35 से 40 करोड़ रुपए खर्च कर जो ढांचा खड़ा किया गया है। उस ढांचे का क्या होगा..? अथवा उसका क्या किया जाएगा..? इस यक्ष प्रश्न का जवाब शायद किसी के पास भी नहीं है। आप जरा सोचिए कि बिलासपुर या कहें न्याय धानी और रायपुर राजधानी में जब सरेआम सरकारी खजाने से योजनाओं के नाम पर निकाले गए 395 करोड़ों रुपयों को एकमुश्त स्वाहा किया जा सकता है। तो फिर अमीर-धरती…. गरीब-लोग” के नाम से विख्यात हमर छत्तीसगढ़ के का होहि….?