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96 शव लावारिस पड़े, दर्जनों लोग अभी भी लापता; मणिपुर हिंसा पर पुलिस ने दिए आंकड़े

(शशि कोन्हेर) : मणिपुर में हुई वीभत्स हिंसा को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। राज्य पुलिस के अनुसार, 3 मई से मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष में अब तक 175 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस ने बताया कि राज्य में 96 शव अभी भी लावारिस पड़े हैं। वर्तमान स्थिति के संबंध में गुरुवार शाम को इंफाल में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में पुलिस ने ये जानकारी दी।

इस दौरान पुलिस महानिरीक्षक (एपी/ऑप्स) आईके मुइवा के साथ आईजीपी जयंतकुमार (एडमिन) निशित उज्जवल (इंटेलिजेंट) के अलावा आईजीपी (जोन II) के कबीब भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि हिंसा में 1118 लोग घायल हुए हैं जबकि 33 अभी भी लापता हैं। चार महीने पुराने संकट के दौरान 4786 घरों और 386 धार्मिक स्थलों सहित 5172 आगजनी के मामले हुए।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अब तक सुरक्षा बलों ने 1,329 हथियार, 15,050 गोला-बारूद और 400 बम बरामद किए हैं। पुलिस ने कहा कि संकट की शुरुआत के बाद से राज्य शस्त्रागार से कुल 5,668 हथियार गायब हुए हैं। सुरक्षा बलों ने राज्य में 360 से अधिक अवैध बंकरों को भी नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि इंफाल-चुराचांदपुर सड़क पर लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर फोगाचाओ इखाई और कांगवई के बीच लगाए गए बैरिकेड भी आज हटा दिए गए हैं।

आपूर्ति की आमद के संबंध में, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 37 (इम्फाल-जिरीबाम मार्ग) पर सुरक्षा काफिले सुचारू रूप से चल रहे हैं। आज (गुरुवार) से राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (इम्फाल-माओ मार्ग) के खुलने से माल की आवाजाही में वृद्धि हुई है। इसी तरह की जानकारी साझा करते हुए, पुलिस कंट्रोल रूम ने गुरुवार शाम एक प्रेस नोट में कहा, “एनएच 37 पर 315 वाहनों की आवाजाही और इंफाल आने वाले 269 वाहनों और एनएच 2 पर इंफाल से जाने वाले 281 वाहनों की आवाजाही आवश्यक वस्तुओं के साथ हुई।”

इस बीच, लगभग एक महीने के अंतराल के बाद स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होती जा रही है। राज्य प्राधिकरण ने इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिलों के सभी क्षेत्रों के लिए कर्फ्यू में ढील का समय गुरुवार से सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक बढ़ा दिया है, जबकि सामान्य समय सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक था। मई के पहले सप्ताह में मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा देखी गई थी, जिसमें कई गांवों और इलाकों को जलाने के अलावा लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए।

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