छत्तीसगढ़

विश्व पर्यावरण दिवस की बजाय हरेली के दिन करें पौधारोपण.. तब पौधे मरेंगे कम और जिएंगे ज्यादा

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – विश्व पर्यावरण दिवस के भेड़ियाधसानी जोश में हमने भी अपने गांव में 2-4 मन्दार समेत कुछ अन्य पौधे लगाने की ठान ली। इसके लिए जब हमने अपने साथी सौंखी राम पटेल से अपना इरादा बताया। और पर्यावरण दिवस पर पौधे लगाने की तैयारी करने को कहा.. तब उसने काफी अचरज से मेरी ओर देखते हुए छत्तीसगढ़ी में कहा….अभी कहां लगही पौधा..? अभी लगाबो त जर,झुलस के मर जाहि..अभी धरती के “रोस”(गर्मी) अऊ भभक्का कम नई होय हे.. अइसे मां नई बाचैं पौधा.. फिर सौंखीराम ने सलाह दी कि अभी बारिश हो जाने दीजिए। और फिर हरेली के आसपास पौधे लगाएंगे। तब तक धरती के भीतर की गर्मी कम हो जाएगी। उसने यह भी कहा कि अभी पौधे लगाने के लिए गड्ढे कर उसमें खाद आदि डालकर रख लें।

फिर बारिश शुरू होने के 15-20 दिन बाद पौधे लगायेंगे। अब तक धरती का भभक्का (गर्मी का ताप) खत्म हो जाएगा। इसमें रोपित किए गए पौधों के जीवित रहने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।


इसी संदर्भ में विश्व पर्यावरण दिवस पर भास्कर बिलासपुर के पूर्व संपादक और वन एवं वन्य प्रेमी तथा इस मामले के प्रामाणिक जानकार श्री प्राण चड्डा की फेसबुक पर एक पोस्ट पढी। इसमें उन्होंने भी कहा है कि पर्यावरण दिवस के दिन पौधे लगाने से भीषण गर्मी के कारण पौधों के जीवित बचे रहने की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं। श्री चड्ढा ने सलाह दी है कि पर्यावरण दिवस पर हम पौधे लगाने के लिए गड्ढे और खातू-माटी की तैयारी कर लें।

और फिर हरेली के दिन अथवा हरेली के दिन से पौधारोपण महोत्सव की शुरुआत करें। इससे नवजात पौधों के गर्मी और धूप में झुलस कर मरने की गुंजाइश कम हो जाती है। उम्मीद करनी चाहिए कि ढोल ताशे के साथ पर्यावरण दिवस का शंखनाद कर उसी एक दिन पौधे लगाने के लिए भेड़िया धसान की तरह टूट पड़ने वाले हमारे समाज सेवी, हरियाली प्रेमी, वन्य प्रेमी, वन विभाग और सरकार तथा एसी कमरों में ऊंची कुर्सियों पर बैठने वाले उसके कर्णधार लोग श्री प्राण चड्डा द्वारा दी गई सलाह पर गौर फरमाएंगे। उम्मीद है कि ऐसा करने पर विश्व पर्यावरण दिवस के दिन लगाए जाने वाले हजारों हजारों नवजात पौधों की जान बच सकती है। किसी आयुर्वेदिक दवा की तरह श्री चड्डा जी की सलाह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा और उससे पौधे लगाने तथा हरियाली बढ़ाने की मुहिम को लाभ ही पहुंचेगा… इसकी, शत्-प्रतिशत गारंटी हम लेते हैं..!

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