स्वस्थ शरीर ही हमारी अक्षुण्ण पूँजी है : योगा गुरु विंकू भाटिया
बिलासपुर – आज के इस आधुनिक युग में हम भौतिक रूप से तो बहुत आगे हो गए हैं, लेकिन भागदौड़ भरी इस ज़िंदगी में हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने की दिशा में बहुत पीछे हो गए हैं । अगर हम और आप एक ख़ुशहाल जीवन की कल्पना करते हैं, तो सबसे पहले हमें अपने शरीर पर ध्यान देना चाहिए और एक स्वस्थ शरीर का स्वामी ही दुनिया के किसी भी असंभव कार्य को कर सकने का जज़्बा रख सकता है, आप किसी भी ज़रूरतमंद की मदद तभी कर सकते हैं, जब आप ख़ुद मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हों । जी हाँ! शरीर की स्वस्थता के साथ-साथ मन की स्वस्थता भी अति आवश्यक है, क्योंकि मन की स्वस्थता ही हमें नेक और अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देती है और ये दोनों प्रकार की स्वस्थता सिर्फ और सिर्फ नियमित योग से हासिल की जा सकती है।
वैसे हम में से बहुतेरे लोग यह जानते हैं कि, स्वस्थ जीवन के लिए योग बहुत ज़रूरी है और योग मुख्य रूप से एक आध्यात्मिक अनुशासन है । जिसमें जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात किया गया है । ‘योग’ शरीर और मन को नियंत्रित करने के लिए व्यावहारिक तरीके प्रदान करता है । आज से 2 वर्ष तक मैं भी सिर्फ कभी-कभार शौकिया जिम जाया करता था, उससे ही मुझे लगता था कि मैं अपने शरीर पर भरपूर ध्यान दे रहा हूँ, पर धीरे-धीरे मुझे जोड़ों के दर्द संबंधी तकलीफ़ें होने लगीं और मैंने जब गहराई से सोचा और कुछ जगह पढ़ा तब मुझे महसूस हुआ कि मैं सही दिशा में व्यायाम नहीं कर रहा हूँ , तब मैंने योग के बारे में पढ़ना और सुनना शुरू किया और आज से लगभग 2 वर्ष पूर्व से मैंने योग की शुरुआत की और आज की स्थिति में मेरा यह मानना और कहना है कि किसी भी कार्य को प्रारंभ करने की कोई उम्र नहीं होती, जब आपके मन में चेतना जाग जाए तब से ही आप कोई भी कार्य कर सकते हैं, ऐसे ही योग प्रारंभ करने की कोई उम्र नहीं होती, आप जिस उम्र में चाहें योग कर सकते हैं हाँ! योग की क्रियायें उम्र के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं, नियमित योग करके योग का लाभ हम अपने जीवन में ले सकते हैं।
हम सब जीवन भर अर्थ का संचय करने में दिन-रात भागते-दौड़ते हैं, इस भागदौड़ में हम अपने आप का ध्यान रखना बिल्कुल ही भूल जाते हैं, हाँ! यह बात सही है कि अच्छा जीवन जीने के लिए, भौतिक सुविधाओं की उपलब्धता के लिए, धन का होना बहुत आवश्यक है पर आप इस सत्य से भी मुँह नहीं मोड़ सकते कि उतना ही आवश्यक है कि हम एक स्वस्थ काया के मालिक हों । मान लीजिए आपके पास भरपूर धन है, सभी भौतिक-संसाधन आपके घर में उपलब्ध हैं, नौकर-चाकर, गाड़ी-घोड़ा, जमीन-जायदाद की कोई कमीं नहीं है, मगर आपकी दिनचर्या सही नहीं है, इस दौलत को कमाने में आपने जी जान से मेहनत की दिन-रात भागमदौड़ की; नियम, आहार, प्रत्याहार का कोई पालन आपने अपने जीवन में नहीं किया, इस लापरवाही का परिणाम एक-न-एक दिन आपके समक्ष तो ज़रूर आएगा, अपने किए को आप ही भुगतेंगे और होगा यह कि कई बीमारियाँ जैसे- डायबटीज, थाइराइड, ब्लड प्रेशर और हार्ट आदि की समस्या आपके शरीर में घर कर जायेंगी, तब आपका यह धन सिर्फ आपको हानिकारक औषधियाँ ही उपलब्ध करवा पाएगा, धीरे-धीरे आपका खाना-पीना भी कम हो जाएगा, उबला और सादा खाना ही नसीब होगा, धन-दौलत कमाकर भी मनमसोस कर आपको जीना पड़ेगा, तब आप सोचेंगे कि काश ! मैंने अपने इस शरीर पर भी उतना ही ध्यान दिया होता जितना कि मैंने धन-दौलत कमाने पर दिया, तो जनाब अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, आज से ही आप इस नेक काम में लग जाइये और योग को अपनाइए।
वैसे यह बात बिल्कुल सही है कि हमारा जो मन है वह बहुत चंचल होता है, वह अक्सर हमें अच्छे कार्य करने से रोकता है, अच्छी आदतें हमें डालनी पड़ती हैं, बुरी तो अपने आप पड़ जाती हैं। हर इंसान को प्रातः उठते ही योग करने की आदत अवश्य डालनी चाहिए, अगर हमें अपने जीवन में परिवर्तन लाना है, तो अच्छी आदतों का होना बहुत ज़रूरी है। किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक तकलीफ़ योग से ठीक की जा सकती है, लेकिन उसके लिए आपको निरंतर योग अभ्यास करना पड़ेगा।
किसी भी कार्य को शुरुआत करने के लिए सदैव हमें न्यूनतम से शुरुआत करनी चाहिए और सरलतम से अभ्यास करना चाहिए, तभी आप अपने निर्धारित लक्ष्य में पहुँच पाएँगे। सिर्फ और सिर्फ अपने लक्ष्य में केंद्रित रहें, आपका शरीर और मन शुरुआत में आलस के चंगुल में फँसेगा, पर हमें सर्वप्रथम इसी आलस पर विजय प्राप्त करनी है। बस इतना सोचें कि दिन में 24 घंटे होते हैं, क्या हम इन 24 घंटों में से 1 घंटा अपने तन एवं मन को स्वस्थ रखने में नहीं दे सकते? हमें ज़रूर इस समय को अपनी स्वस्थ काया को प्राप्त करने के लिए स्वयं से चुराना होगा, जब हमारा तन और मन दोनों स्वस्थ होगा तो हम दोगुनी ऊर्जा के साथ अपने प्रतिदिन के कार्यों को संपादित करेंगे और बढ़ी हुई इसी ऊर्जा की बदौलत हमें अपने कार्य क्षेत्रा में और ज़्यादा प्रगति और उन्नति प्राप्त होगी, तो लीजिए श्रीमान! योग रूपी इस जादुई क्रिया को अपने जीवन में शामिल करते ही आपके जीवन में स्वस्थ तन और मन के साथ-साथ आपकी आर्थिक उन्नति की संभावना भी बढ़ जाती है।
दोस्तों! यह एक बहुत रोचक तथ्य है कि अगर आप अपने दुश्मन स्वयं हैं, तो इस दुश्मन से बड़ा नुक़सान आपका कोई नहीं कर सकता और अगर आप अपने दोस्त स्वयं हैं, तो इस दोस्त जैसी दोस्ती कोई नहीं निभा सकता; तो दोस्तों हमें सबसे पहले अपना दोस्त स्वयं बनना होगा और यह शुभ कार्य आप आज से ही करना शुरू कर दीजिए।
आज से ही यह तय करें कि अपने आपको स्वस्थ और तंदुरुस्त रखना मेरी पहली प्राथमिकता होगी और जब आप अपने ऊपर पूरी तरह ध्यान देने लगेंगे सुबह योग/प्राणायाम आदि करेंगे तो दिन भर आपके अंदर स्फूर्ति और ताज़गी बनी रहेगी और जब आप स्वयं स्वस्थ रहेंगे तभी आप अपना और अपने परिवार की देखभाल अच्छे तरीके से कर पायेंगे, इसलिए प्रातःकाल नियमित रूप से व्यायाम करें और देखें कि किस तरह आपके जीवन में बदलाव आता है, मेरी इन बातों से अब तो आप सब समझ ही गए होंगे कि हमारी असली पूँजी हमारी काया की स्वस्थता ही है, हम स्वस्थ रहेंगे तो हमारे जीवन में सब कुछ चंगा-ही-चंगा होगा।