फडणवीस ने की फ्लोर टेस्ट की मांग, शिंदे ने बुलाई इमरजेंसी बैठक, देर रात तेज हुआ सियासी ड्रामा
(शशि कोन्हेर) : महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट में बड़ा नाटकीय मोड़ आ गया है. देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मुलाकात की है. मुलाकात के बाद फडणवीस ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग कर दी है. जोर देकर कहा गया है कि महाराष्ट्र सरकार के पास बहुमत नहीं है. बागी हो चुके विधायक भी शिवसेना का समर्थन नहीं कर रहे हैं.
फडणवीस ने कहा है कि हमारी तरफ से राज्यपाल को एक चिट्ठी दे दी गई है. बागी विधायक कह रहे हैं कि उन्हें शिवसेना के साथ नहीं जाना है, वो महा विकास अघाडी को भी समर्थन नहीं दे रहे हैं. ऐसे में राज्यपाल को तुरंत फ्लोर टेस्ट के आदेश देने चाहिए. उद्धव सरकार को बहुमत साबित करना चाहिए.
उन्होंने ये भी कहा है कि शिवसेना के इन विधायकों को धमकाया जा रहा है. राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उनके 40 शव गुवाहाटी से लौटाए जाएंगे. इसके अलावा, शिवसेना के अन्य नेता भी इसी तरह की धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में ज्यादा समय बर्बाद नहीं किया जा सकता है.
अब देवेंद्र फडणवीस की टाइमिंग काफी मायने रखती है. उन्होंने कुछ घंटे पहले ही दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है. उस मुलाकात में महाराष्ट्र की स्थिति पर मंथन हुआ है. उस मीटिंग के बाद फडणवीस सीधे महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से मिलने पहुंचे और फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग कर दी.
बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में फडणवीस के साथ कुछ विधायक भी पहुंचे हैं. लंबे समय से चर्चा चल रही थी कि बीजेपी का अगला कदम क्या होने वाला है. शिंदे गुट की तरफ से तो लगातार बड़े दावे हो रहे थे, लेकिन बीजेपी पिक्चर से बाहर चल रही थी. लेकिन अब पार्टी हरकत में आई है और हाईकमान से मिलने के बाद सीधे फ्लोर टेस्ट की मांग हुई है.
वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो बीजेपी के पास महाराष्ट्र में सरकार बनाने का बड़ा मौका है. अगर शिंदे गुट के विधायक बीजेपी के साथ चले जाते हैं, ऐसी स्थिति में राज्य में आराम से बहुमत वाली सरकार बनाई जा सकती है. लेकिन जितना आसान ये आकड़ों का समीकरण दिख रहा है, कानूनी लड़ाई लंबी खिच सकती है. कहा जा रहा है कि कम से कम 11 जुलाई तक उद्धव सरकार फ्लोर टेस्ट नहीं चाहेगी. तर्क दिया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है और जब तक मामले में सबकुछ स्पष्ट ना हो जाए, फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता.
जानकार तो ये भी मानते हैं कि मुख्यमंत्री अभी ज्यादा से ज्यादा समय चाहते हैं. जितना अतिरिक्त समय उन्हें मिलेगा, बागी विधायकों को या तो मनाया जा सकता है या फिर उनमें फूट डाली जा सकती है. ऐसी स्थिति में बागी विधायकों को एकजुट रखना एकनाथ शिंदे के लिए चुनौती साबित हो सकता है. अभी के लिए तो स्थिति को समझते हुए शिंदे ने देर रात ही अपने विधायकों की इमरजेंसी बैठक बुला ली है