छत्तीसगढ़

सोनहत के पहाड़ी अंचल में गौठानो में सामुदायिक बाड़ी बनी आजीविका का साधन

(शशि कोन्हेर) : सुराजी गांव योजना के गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत कोरिया जिले के पहाड़ी क्षेत्र में सोनहत ब्लॉक में स्थानीय महिला समूह की सहभागिता से गौठान में सामुदायिक बाड़ी की सेवा स्वरोजगार का माध्यम बन गई है। गौठानों में आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने के लिए सामुदायिक खेती के प्रयास गौठान समिति और स्व सहायता समूह के आजीविका का साधन बन गए है।

सोनहत के ग्राम पौड़ी में  साक्षर भारत महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने सामुदायिक कृषि के विभिन्न आयामो को सफलता का स्वरूप स्थानीय वासियों को नजर आने लगा है। ग्राम पौड़ी गौठान की सामुदायिक बाड़ी में विशेषकर टमाटर,भाटा, लौकी,भाजी के साथ रागी उत्पादन पर फोकस किया जा रहा है। साक्षर भारत स्व सहायता समूह के द्वारा 6  लाख रुपयों की वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर के विक्रय की गई।

समिति के खाते में लाभांश की राशि 274083 रुपए हस्तांतरित होने से समूह के सदस्यों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। ग्राम पौड़ी की महामाया महिला स्व सहायता समूह बीराबाई बताती है कि समूह के माध्यम से 84 हजार रुपयों की आय अनुदान से प्राप्त केंचुए के उत्पादन और बिक्री हुआ। ग्राम पुसला की जय कुमारी ने बताया कि अनुदान से प्राप्त रिपोर्ट के द्वारा ₹65000 की आय मुर्गी/बटेर पालन विक्रय से हुई।

विकासखंड के सलगवा,पुसला,घुघरा में गौठान समिति के सदस्यों के द्वारा चारागाह क्षेत्र में उगाई जा रही नेपियर घास के अन्य समितियों के लिए विक्रय करके लगभग ₹ 5 लाख रुपयों की आय अर्जित की गई है। क्षेत्रीय एसडीएम अमित सिन्हा ने बताया कि जिला कलेक्टर श्री कुलदीप शर्मा एवं जिला पंचायत सीईओ श्री कुणाल दुडावत के सतत मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री की सुराजी योजना के विस्तार के लिए ग्राम वासियों को जागरूक प्रयासों के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

सोनहत विकासखंड के समस्त 39 गौठान में बाड़ी विकास कार्य की शुरुआत की जा रही है, उक्त कार्य की मनरेगा योजना के अंतर्गत स्वीकृति जिला प्रशासन के द्वारा दी जा रही है। पहाड़ी क्षेत्र में पानी की समस्याओं के लिए कृषक सदस्यों को सब्सिडी स्प्रिंकलर सेट की सुविधा दिलाई गई है।

गौठानों में नियमित रूप से पशु स्वास्थ्य परीक्षण एवं टीकाकरण शिविर लगाए जाने के निर्देश दिए। गौठान से जुड़े महिला स्व-सहायता समूहों बकरी पालन, मुर्गी पालन, बटेर पालन, पशुपालन आदि के लिए भी प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने के साथ ही उन्हें विभागीय योजनाओं से प्राथमिकता के आधार पर लाभान्वित करने के निर्देश दिए गए है। शीघ्र ही गौठानों में पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान, वत्सोत्पादन, बधियाकरण, टीकाकरण आदि के लिए शिविर लगाए जाने की योजना है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button