प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तेजस्वी यादव को दी सलाह… थोड़ा वजन कम करो
(शशि कोन्हेर) : बिहार विधानसभा शताब्दी समापन समारोह कार्यक्रम के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जिस अंदाज में लिखा हुआ भाषण पढ़ रहे थे, वह न केवल सोशल मीडिया पर वायरल है बल्कि चर्चा का विषय बन गया है. अपने भाषण के दौरान तेजस्वी यादव बार-बार अटक रहे थे.
साथ ही, जब कार्यक्रम का समापन हुआ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत मंच पर मौजूद अन्य नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदा करने के लिए उनके साथ आ रहे थे तो उसी दौरान प्रधानमंत्री ने तेजस्वी यादव को कुछ ऐसा कह दिया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो खुद को स्वस्थ रखने के लिए ही योगा करते हैं और देश को भी फिट रहने की सलाह देते हैं, उन्होंने तेजस्वी यादव को अपना वजन कम करने की सलाह दे डाली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तेजस्वी यादव को वजन कम करने की सलाह दी तो यह सुनते ही वह मुस्कुराने लगे और उनके साथ ही चलते रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी दौरान तेजस्वी यादव से उनके पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की सेहत के बारे में भी जानकारी ली.
इससे पहले जब पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव विधानसभा शताब्दी समापन समारोह में अपना संबोधन कर रहे थे तो उनके अंदर विश्वास की कमी साफ नजर आ रही थी. पहले तो वह एक लिखा हुआ भाषण पढ़ रहे थे और कई बार अपने भाषण के दौरान वह कई मौकों पर अटकते नजर आए.
कार्यक्रम में सबसे पहले विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा का भाषण हुआ, जिसके बाद दूसरे नंबर पर तेजस्वी यादव अपना संबोधन करने आए थे. अपने छोटे से भाषण के दौरान तेजस्वी यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न दिए जाने की मांग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की.
बिहार विधानसभा शताब्दी समापन समारोह के दौरान अपना संबोधन करने के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने लय में नजर नहीं आ रहे थे. आमतौर पर तेजस्वी लिखा हुआ भाषण नहीं पढ़ते हैं, मगर विधानसभा शताब्दी समापन समारोह में जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे उन्होंने लिखा हुआ भाषण पढ़ा.
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि जब अनुकंपा के आधार पर तेजस्वी यादव राजनीति करेंगे तो विश्वास की कमी तो नजर आएगी है, देखकर भाषण पढ़ना और लड़खड़ाना दर्शाता है कि उनके अंदर विश्वास और आत्मबल की कमी है. परिवारवाद और वंशवाद वाली पार्टियों में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है.