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जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने फिर उगला जहर.. जाने क्या कह रही है यह पाक परस्त मोहतरमा

(शशि कोन्हेर) : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को एक नया विवाद पैदा करते हुए कहा कि मुझे नहीं मालूम की बालाकोट में किसी को मारा या नहीं ,लेकिन यहां जम्मू-कश्मीर में 2019 से यही हो रहा है।हमने मुस्लिम बहुल राज्य होने के बावजूद पाकिस्तान को ठुकराया और हिंदुस्तान के साथ हाथ मिलाया। हिंदुस्तान के झंडे के साथ अपना झंडा मिलाया, हम दोनों झंडों काे सलाम करते हैं,लेकिन आज यह हमारे घरों में घु़सकर झंडा लगाते हैं। हमारा वजूद मिटाने की कोशिश हो रही है। श्री अमरनाथ की तीर्थयात्रा को भी भाजपा ने राजनीतिक यात्रा बना दिया है।

आज उत्तरी कश्मीर के उड़ी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने प्रदेश के मौजूदा हालात का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि 1947 के बाद हमने इस तरह के हालात कभी देखे थे। वर्ष 2019 से यहां जुल्म को दौर शुरु हुआ है, हर राेज किसी न किसी तरीके से लोगों पर जुल्म हो रहा है। उन्होंने पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे नहीं मालूम कि वहां क्या हुआ था, लेकिन हमारे कई नौजवान बलिदानी हुए थे। उसके बाद एक डायलाग चला था कि हम घर में घुसकर मारेंगे। बालाकोट में किसी को मारा या नहीं,मुझे नहीं पता, लेकिन जम्मू-कश्मीर में 2019 से लेकर आज तक यही हो रहा है। हमारे घरों के अंदर आकर हम लोगों को एनआइए, सीबीआइ, ईडी समेत विभिन्न एजेंसियो के जरिए परेशान किया जा रहा है। हमारे लोगों का घरों से निकलना मुहाल हो गया है।

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जिस तरह से जम्मू-कश्मीर के साथ बर्ताव किया जा रहा है, उसे देखकर लगता है कि यह जम्मू-कश्मीर को अपना नहीं बल्कि किसी दूसरे मुल्क का हिस्सा मानते हैं। पहले इन्होंने हमसे हमारा विशेष दर्जा छीना, नौकरियां छीनी। अगर हमने यह सोचा कि जो हो गया सो हो गया तो हमारा वजूद मिट जाएगा। हमारी शिनाख्त समाप्त हो जाएगी। इसलिए हमें इसका मुकाबला करना है। हमारे पास सिर्फ हमारी जुबान और शिनाख्त ही बची है। नहीं तो वह दिन दूर नहीं हैं,जब लोग पूछेंगे कि कश्मीरी कैसा होता था, कश्मीर का रहने वाला हर नागरिक चाहे वह हिंदू है या मुसलमान,गुज्जर या सिख,सभी कश्मीरी हैं।

पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि हमने एक मुस्लिम बहुल राज्य होने के बावजूद पाकिस्तान को ठुकराते हुए, बराबरी के हक पर अपनी विशिष्ट पहचान के साथ हिंदुस्तान के साथ हाथ मिलाया था। हमने हिंदुस्तान की जम्हूरियत को चुना था। हमने हिंदुस्तान के झंडे के साथ अपना झंडा जोड़ा था, हम दोनों झंडों को सलाम करते हैं,लेकिन आज यह लोग जबरदस्ती हमारे घरों में घुसकर झंडा लगाते हैं। हर झंडे की एक इज्जत होती है और लोग झंडे की इज्जत करते हैं,लेकिन जबरदस्ती झंडा लगाने से इज्जत नहीं होती है।

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