तो क्या, झारखंड में बदल जाएगी सरकार… हेमंत सोरेन, भाजपा साथ-साथ… एक और राज्य में कांग्रेस की मिट्टीपलीद
(शशि कोन्हेर) : भाजपा के एजेंडे में 2024 का लोकसभा चुनाव सबसे ऊपर है। तेलंगाना में हाल ही में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी पार्टी की ओर से इसे स्पष्ट किया जा चुका है। इसी के मद्देनजर अलग-अगल राज्यों में नफा-नुकसान का आकलन करते हुए पार्टी के स्तर पर मंथन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि झारखंड में भी भाजपा को किसी भी संभावना से परहेज नहीं है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश नेताओं के फीडबैक से इतर भी कदम उठा सकता है।
राष्ट्रपति चुनाव के बहाने भाजपा लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी ताकत को तौल रही है। कौन साथ है और कौन नहीं, इस पर पैनी नजर है। जो साथ हैं उन्हें आगे भी साथ लेकर चलने में भाजपा को कोई दिक्कत नहीं है। झारखंड में सत्तारूढ़ दल झामुमो के बदले रुख को उसकी भाजपा की तरफ बढ़ती नजदीकियों से जोड़कर देखा जा रहा है। स्पष्ट है कि झारखंड में बड़े राजनीतिक फेरबदल के आसार बने हुए हैं।
लोकसभा चुनाव की प्रत्यक्ष तौर पर कमान संभालने गृहमंत्री अमित शाह झारखंड के संदर्भ में अपने स्तर से फीडबैक ले रहे हैं। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल ने भी अमित शाह से मुलाकात के जिक्र में इस बात की पुष्टि की है। शाह ने बाबूलाल से राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा करने के साथ-साथ लोकसभा चुनाव पर विस्तृत चर्चा की।
बता दें कि झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में से भाजपा अभी 12 पर काबिज है। अगले चुनाव में इस आंकड़े को ब्रेक करना या बनें रहना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। झारखंड में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद हुए चार उपचुनावों में भी पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इन तमाम परिस्थितियों का बारीकी से अध्ययन कर रहा है।
झारखंड में तेजी से बदल रही राजनीतिक परिस्थितियों का आकलन करें तो यह स्पष्ट दिखेगा कि सिर्फ झामुमो ही नहीं भाजपा का रुख भी झारखंड के सत्ताधारी दल को लेकर लचीला हुआ है। खनन लीज आवंटन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चौतरफा घेरने वाली भाजपा ने खुद इस मामले में सुनवाई के दौरान समय मांगा। भाजपा के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने कुछ एडिशनल सबमिशन दाखिल करने की दलील देते हुए समय मांगा।
यहां यह भी बता दें कि इससे पहले भारत निर्वाचन आयोग में 28 जून को हुई सुनवाई में भाजपा के अधिवक्ता ने करीब दो घंटे तक अपना पक्ष रखा था। भाजपा द्वारा जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 9 ए के तहत सीएम सोरेन की विधायकी को अयोग्य करार देने की मांग की गई है। राज्यपाल रमेश बैस ने भाजपा की शिकायत पर भारत निर्वाचन आयोग से इस मामले में मंतव्य मांगा था, जिसके बाद आयोग ने सुनवाई शुरू की।