हेमंत सोरेन सरकार पर संकट, भाजपा में शामिल हो सकते कांग्रेस विधायक, राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग का खेल
(शशि कोन्हेर) : राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस विधायकों की क्रास वोटिंग हेमंत सोरेन सरकार के लिए बड़ा संदेश दे रही है। विधानसभा का मौजूदा गणित और राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के मतों का रूझान दोनों के समानुपातिक संबंधों को देखें तो बड़े उलटफेर की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। कांग्रेस के नौ विधायकों का पार्टी लाइन से इतर जाना यह संकेत देता है कि कांग्रेस के भितरखाने सबकुछ सामान्य नहीं है।
एक विधायक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि अब लड़ाई आर या पार की होगी। अगर मंत्रिमंडल में तत्काल फेरबदल नहीं हुआ तो पार्टी दो खेमे में बंट सकती है। संभव है कि विधायक भाजपा का दामन थाम सकते हैं या नया दल बनाकर भीतर से समर्थन कर सकते हैं।
प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व को इसका बखूबी अहसास है। राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग के बाद विधायकों से संपर्क का प्रयास तेज कर दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भी सकते में हैं। संभव है कि वे तत्काल राज्य का दौरा करें।
झारखंड में ऐसे सरकार बना सकती है भाजपा
मालूम हो कि झारखंड विधानसभा में कांग्रेस के कुल 18 विधायक हैं। 30 विधायकों वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार कांग्रेस विधायकों के समर्थन से चल रही है। सदन में भाजपा के 26 विधायक हैं। भाजपा के सहयोगी दल आजसू के 2 विधायक हैं। इस तरह देखा जाए तो एनडीए के पास कुल 28 विधायक इस समय मौजूद हैं।
सदन में एनसीपी और भाकपा माले के क्रमश: एक एक विधायक और 2 निर्दलीय विधायक हैं। अगर कांग्रेस के दस विधायक टूटकर भाजपा में मिलते हैं तो एनडीए विधायकों की संख्या 38 हो जाएगी। ऐसे में निर्दलीय विधायकों को समर्थन भी भाजपा को मिल सकता है। तब यह संख्या 40 तक पहुंच सकती है। ऐसे में भाजपा के लिए सरकार बनाने की राह बेहद आसान हो सकती है।
कई मामलों में संकट का सामना कर रहे हेमंत
पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनन लीज आवंटन मामले में फंसे हुए हैं और कांग्रेस के साथ हर मोर्चे पर उनकी जो तल्खियां बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में भाजपा के लिए राह आसान होता नजर आ रहा है। चंद रोज पहले ही मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा भी मनी लांड्रिंग मामले में ईडी के हाथों गिरफ्तार हो चुके हैं।
पंकज मिश्रा ने अभी तक किसी नेता का नाम नहीं लिया है, लेकिन सत्ता के संरक्षण में उसके काले कारोबारों की पोल धीरे धीरे खुलने लगी है। इसकी आंच मुख्यमंत्री तक पहुंच सकती है। भाजपा तो साफ लहजे में मुख्यमंत्री को ही घेरती रही है। कुल मिलाकर हेमंत सोरेन संकट में घिरे हुए हैं। राज्यसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को जिस तरह दरकिनार कर अपनी पार्टी के प्रत्याशी को संसद भेजा, इससे भी कांग्रेस खेमे में नाराजगी सर्वविदित है।
कार्रवाई हुई तो कांग्रेस में बगावत तय मानिए
राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग के बाद झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष ने बयान दिया है कि ऐसा करने वाले विधायकों पर पार्टी कड़ी कार्रवाई करेगी। अगर कांग्रेस आलाकमान की तरफ से कोई कदम उठाया गया तो इन विधायकों को बगावत का अच्छा मौका भी मिल सकता है।
वैसे भी समय समय पर कांग्रेस विधायकों का एक गुट पार्टी कोटे से सरकार में शामिल मंत्रियों के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाता रहा है। कई मौकों पर यह गुट दिल्ली दरबार तक हाजिरी लगा चुका है। अब इन विधायकों को संभालना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।