नए संसद भवन में जिन हाथों ने संवारा अशोक स्तंभ, वही बनाएंगे पाली मे गांधी चौक के लिए राष्ट्रपिता की प्रतिमा….
(कमल वैष्णव) : पाली /कोरबा – देश की राजधानी नई दिल्ली में संसद भवन में हाल ही में राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ के प्रतिकृति का अनावरण किया जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। उन्हीं मूर्तिकार के हाथों गांधी चौक पाली में राष्ट्रपिता की नई प्रतिमा को गढ़ने का काम सौंपा गया है।
नगर पंचायत पाली पहुंचे मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास का नपं अध्यक्ष उमेश चंदा ने आत्मीय स्वागत किया।मूर्तिकार की टीम ने गांधी चौक के प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया।उल्लेखनीय है कि नगर के सबसे पुराने गांधी चौक का सौन्दर्यीकरण का कार्य इन दिनों चल रहा है। नगर पंचायत अध्यक्ष श्री चंद्रा ने बताया कि यह स्थल पाली की विरासत और पहचान है। इस कारण से इस स्थल को सर्वोत्कृष्ट और आकर्षक बनाने के लिए यथासंभव प्रयास किया जा रहा है।
लगभग 25 लाख रुपए की लागत से गांधी चौक का कायाकल्प होने जा रहा है। गांधी जी की नई मूर्ति खड़ी मुद्रा में होगी, जिसकी जवाबदारी राजस्थान के उस मूर्तिकार को दी गई है। जिन्होंने नए संसद भवन में अशोक स्तंभ का निर्माण किया है।जिसका लोकार्पण हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और य़ह स्तंभ अब सुर्खियां बटोर रही है।नगर पंचायत पाली में सौजन्य मुलाकात कर मूर्तिकार ने भरोसा दिलाया कि पाली का गांधी चौक भी लोगों उम्मीदों पर खरा उतारने प्रयास करूंगा।
मूर्तिकार की टीम को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए नगर पंचायत अध्यक्ष सहित नगर पंचायत के अधिकारी कर्मचारियों ने विदाई दी।मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास मूलत: राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के नोहर कस्बे के निवासी हैं।जो राजस्थान विश्वविद्यालय से मूर्तिकला में डिग्री हासिल करने के बाद देश-विदेश में 300 से अधिक छोटे बड़े प्रतिमाओं का निर्माण कर चुके हैं।
संसद भवन के अशोक स्तंभ के निर्माण के संबंध में जानकारी साझा करते हुए मूर्तिकार श्री व्यास ने बताया कि जयपुर के स्टूडियो शिल्पिक में चालीस कारीगरों को यह कृति बनाने में करीब पांच माह का समय लगा। इसको अलग-अलग हिस्सों में तैयार कर दिल्ली ले जाया गया। वहां इन हिस्सों को जोडक़र राष्ट्रीय प्रतीक की प्रतिकृति तैयार किया।अशोक स्तंभ की प्रतिकृति की डिजाइन टाटा ने तैयार की है तथा बनाने से लेकर स्थापित करने का काम लक्ष्मण व्यास की निगरानी में हुआ। इसके कुल 150 हिस्से थे, जिन्हें ट्रक से दिल्ली ले जाया गया। वहां गैस वेल्डिंग और आर्गन तकनीक से इन हिस्सों को जोड़ा गया।