जांजगीर-चाम्पा

महिलाओं ने हलषष्ठी देवी का व्रत आस्था और विश्वास के साथ किया…..

(हेमन्त पटेल) : जांजगीर चांपा जिला में भी हल षष्ठी देवी का व्रत आस्था और विश्वास की साथ किया गया ,,महिलाओ ने अपने बच्चो की दीर्घ आयु और पति की सुख शांति के लिए इस व्रत की निर्जला रह कर पूजा की और हल चले बिना उगे फसल पसहर चावल का प्रसाद ग्रहण किया।

हल षष्ठी व्रत का अपना अलग ही महत्व है ,भादो माह के कृष्ण पक्ष में होने वाले इस व्रत को भगवान कृष्ण के जन्म से जोड़ कर देखा जाता है ,मान्यता के अनुसार कंश ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया था और उसके 6 संतानों को मार दिया था ,,,जिससे दुखी देवकी माता को नारद जी ने हल षष्ठी देवी की पूजा का विधि बताया और देवकी ने इस व्रत को करने के बाद अपने पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण को पाया था।

आचार्य नंद कुमार मिश्रा ने बताया कि इस पूजा को करने के लिए महिलाएं अपने घर के आंगन में छोटा तालाब बनाई और बच्चो के खेलने का सामान भी वहा रखा ,और हल षष्ठी देवी की पूजा की, माताएं पूजा के बाद चुना से भीगे पोतन लेकर बाए हाथ से अपने बच्चो के पीठ में मारी और लंबी उम्र की आशीर्वाद दी,और भैंस के दूध,दही और घी का उपयोग कर पसहर चावल के अवाला 6 प्रकार की भाजी मिला कर प्रसाद बनाई और उसे ग्रहण किया।

वैसे तो बाजार में अब व्रत में उपयोग होने वाला हर समान मिल जाता है ,लेकिन बेहराडीह गांव के किसान ने अपने घर के गमला में भाजियो के साथ हल चले बिना उपजे 9 प्रकार के मिर्च का संग्रह किया है और व्रती महिलाओ को भाजी से साथ मिर्च भी देती है और इन मिर्च को घर घर में।लगाने का सलाह देते है।

हल षष्ठी व्रत रखने के बाद अभी से कान्हा के स्वागत की तैयारी शुरू हो गई है और 19 अगस्त को घर घर कृष्ण जन्माष्टमी मानने की तैयारी शुरू हो गई है।

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