अकलतरा से निर्यात होने वाले उत्पादों पर कर किसका बोझ घटायेंगे और किसका बढ़ायेंगे
(सीता टण्डन) : अकलतरा नगर पालिका परिषद द्वारा अकलतरा नगर से होने वाले सामानों पर निर्यात कर लगाया जाने का निर्णय लिया गया है और आज निर्यात कर वसुलने अकलतरा के नगर पालिका परिसर में नीलामी की जाएगी । इसके लिए अखबारों में निविदा आमंत्रित की गयी । इस निविदा के अनुसार अकलतरा नगर पालिका परिषद के अंतर्गत आने वाले वे सामान जो यहां से निर्यात किये जायेंगे उन पर निर्यात कर लगाया जायेगा जिसकी वसुली निजी ठेकेदार द्वारा की जायेगी ।
इस निविदा के अनुसार इसकी अवधि सात माह होगी और इसकी जमानत राशि 33.25 लाख है । अब यहां प्रश्न उठता है कि जब पूरे देश में व्यापारियों से एक देश एक कर के आधार पर जी एस टी लिया जा रहा है तो फिर अकलतरा नगर पालिका परिषद द्वारा निर्यात कर क्यो लगाया जा रहा है जबकि यह निर्यात कर तीन वर्ष पूर्व जीएसटी लागू होने पर बंद कर दी गयी ।
अकलतरा व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ
अकलतरा के व्यापारियों पर निर्यात कर के लगने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा । पूरे देश में जीएसटी लागू होने से कर के मामलों में पूरी तरह पारदर्शिता आ गई है और अब कोई भी व्यापारी सरकार को कर देने से बच नहीं सकता वैसे भी जीएसटी के बोझ के कारण सामान पहले की अपेक्षा काफी महंगे हो गए हैं अगर अकलतरा के सामानों पर निर्यात कर लगाया जाता है तो यह सामान निश्चित रूप से उन उपभोक्ताओं पर भी बोझ बढ़ाएंगे जो उनका उपभोग करेंगे ।
उस पर भी यह निर्यात कर शासकीय कर्मचारियों द्वारा नहीं वसूला जाकर निजी ठेकेदारों के हाथ में दिया जाता है तो निजी ठेकेदार मनमाना निर्यात कर लेंगे जिसका असर सीधे उपभोक्ता पर पड़ेगा क्योंकि व्यापारी इन सामानों की कीमत मनमाना बढ़ाकर निर्यात कर उपभोक्ताओं से वसुल करेंगे जिससे अंततः बेचारी और बेबस जनता ही भुगतेगी ।
निर्यात कर का उपभोग जनप्रतिनिधियों के हित में , जनता के नहीं
इसके लिए यह तर्क दिया जा सकता है कि अकलतरा में निर्यात कर की संभावना है इसलिए यहां निर्यात कर लगाया जा रहा है और उसका उपयोग अकलतरा नगर के विकास में किया जायेगा लेकिन क्या वाकई अकलतरा नगर पालिका परिषद अकलतरा की जनता के हित में सोच रही है सभी जानते हैं कि अकलतरा नगर पालिका द्वारा इस छोटे से नगर को आज तक व्यवस्थित रूप नहीं दिया जा सका है ।
यहां का राजस्व किसके खजाने को बढ़ाता है सभी जानते हैं । करोड़ों के राजस्व और अन्य कई लोककल्याणकारी योजनाएं यहां सही नीयत और ईमानदार कोशिश के अभाव में दम तोड़ रही है वहां यह निर्यात कर केवल नगर पालिका परिषद के मुट्ठी भर नुमाइंदों की केवल जेबें गर्म करेगी और फिर कोई योजना और सिर्फ कागजी योजना लाकर अपने दिये घाव पर मरहम पट्टी लगाया जायेगा ।