पशु चिकित्सालय में मवेशियों को नहीं बीमार व्यवस्था को है ईलाज की दरकार….
(मुन्ना पाण्डेय) : सरगुजा/लखनपुर – जहां शासन प्रशासन स्तर से पशुओं के सुरक्षा संरक्षण को लेकर पशु चिकित्सालय बना पशु पालक किसानों के गाय, बैल बकरी, मुर्गी,सुकर तथा अन्य पालतू मवेशियों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने एवं पशु पालकों को आर्थिक रूप मजबूत बनाने के दृष्टिगत योजना बना बेहिसाब खर्च की जा रही है। लेकिन मैदानी स्तर पर इसका सार्थक नतीजा नज़र नहीं आता। फाइलों में ही दब कर रह जाता है। पशु पालकों को शासन द्वारा संचालित योजनाओं तक की जानकारी नहीं होती जैसे वत्स योजना, डेयरी कुक्कुट,बकरी सूकर के अलावा अन्य दूसरे विभागीय लाभकारी योजनाओं की जानकारी चंद पहुंच वाले अपने चहेतों को छोड़कर किसी को नहीं दिया जाता।
पशु चिकित्सालय में डाक्टरों के मुख्यालय में नहीं रहने कारण जरूरतमंद पशु पालकों को अपने बीमार पशुओ के लिए डाक्टरी परामर्श नहीं मिलता। जबकि ढोर अस्पताल में एक पुरूष तथा महिला डाक्टर पदस्थ हैं दोनों डाक्टरों का आना जाना अम्बिकापुर से होता है। अक्सर मुख्यालय से अंतर्ध्यान ही रहते हैं कभी कभार प्रकट होकर दर्शन लाभ दे जाते हैं। पुरूष डाक्टर अपना अधिकांश समय गौठानो में बिताते जबकि डाक्टर को अपने मुख्यालय में भी रहने चाहिए। सहायक फिल्ड अधिकारी के बलबूते किसी तरह ढोर अस्पताल का काम खींचतान कर चल रहा है।
कृत्रिम गर्भाधान अथवा बिमार ग्रस्त पशुओं के घर पहुंच ईलाज करने को कमाने का जरिया बना रखा है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि अस्पताल में दवाई की कमी बता कर बाजार से ऊंचे दामों में खरीदने पर्ची पकड़ा दी जाती है।पशु पालक परेशान हो जाते हैं। दो अलग-अलग पशु चिकित्सालय के पदभार में रहने कारण पुरूष डाक्टर ढोर अस्पताल लखनपुर में नहीं आता। साबित होता है कि डाक्टर को जिला प्रशासन का वरद हस्त प्राप्त है।अस्तु पशु चिकित्सालय में अव्यवस्था पसरी हुई है।जो सुविधा क्षेत्र के पशु पालकों को मिलनी चाहिए नहीं मिल पा रही है। बहरहाल क्षेत्र के लोगों ने शासन प्रशासन से पशु चिकित्सालय में व्यवस्था सुधार को लेकर मांग किया है।