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सीएम नीतीश कुमार ने दावा किया..2024 में बदल जाएगी केंद्र की सत्ता

(शशि कोन्हेर) : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश के विपक्षी दलों का आह्वान किया कि सब एक मंच पर आएं और 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता को बदल दें। विश्वास मत के प्रस्ताव पर बहस का जवाब दे रहे नीतीश ने बिना नाम लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला किया।

केंद्र के विकास के दावे का यह कह कर मजाक उड़ाया कि काम नहीं, सिर्फ प्रचार हो रहा है। आम लोगों की आमदनी घट गई है और समाज में नफरत फैलाने के लिए सुनियोजित अभियान चलाया जा रहा है।

अटल, आडवाणी और जोशी का किया जिक्र

एकजुट विपक्ष ही मुकाबला कर सकता है। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और डा. मुरली मनोहर जोशी के साथ अपने अच्छे संबंधों का जिक्र किया। कहा कि वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में राज्य में महती विकास हुआ, लेकिन अब विकास नहीं, सिर्फ प्रचार हो रहा है।

भाजपा ने विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के समय सदन का बहिर्गमन किया। विश्वास मत में हिस्सा नहीं लिया। पहले ध्वनिमत से विश्वास मत पारित किया गया। बाद में संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी के आग्रह पर मत विभाजन कराया गया। प्रस्ताव के पक्ष में 160 वोट पड़े।

एक मंच पर आएं विपक्षी दल

मुख्यमंत्री ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर केंद्र सरकार की ओर से आयोजित कार्यक्रमों पर भी सवाल उठाया। कहा कि उन्हें (भाजपा) को आजादी की लड़ाई के बारे में क्या पता? ये बापू को खत्म करेंगे। धीरे-धीरे सब कुछ खत्म कर लेंगे।

समाज में टकराव पैदा करना चाहते हैं, लेकिन एकजुट विपक्ष उनके मंसूबे पर पानी फेर देगा। वे चाहें जितना प्रचार कर लें, विपक्ष रुकने वाला नहीं है। उन्होंने बिहार में हुई सात दलों की एकजुटता पर कई बार जोर दिया कि हम लोगों ने संकल्प लिया है। सब मिल कर लड़ेंगे। गांवों में जाएंगे।

एक-एक आदमी के सामने अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास में केंद्र सरकार का कोई योगदान नहीं है। सड़क, बिजली और हर घर नल का जल जैसी योजनाएं राज्य के अपने साधनों से पूरी हुई हैं। नल जल योजना का श्रेय लेने के लिए केंद्र सरकार ने दो बार धन भेजा था।

हमने दोनों बार यह कह कर लौटाया कि इस योजना के लिए हमको केंद्र की मदद नहीं चाहिए। बाद में केंद्र सरकार ने नल जल योजना को अंगीकार किया।

भाजपा से अलग होने का कारण गिनाया

मुख्यमंत्री के भाषण का भाव यही था कि उन्हें भाजपा की राज्य इकाई से कोई शिकायत नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व के कारण उन्हें अलग होने का निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने चिराग पासवान का नाम लिए बगैर कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में किसको खड़ा किया गया?

उस आदमी (पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह) के जरिए गड़बड़ी की कोशिश की गई, जिसे हमने कहां से कहां पहुंचा दिया। 2020 में हम मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे। उनके दबाव पर मुख्यमंत्री बने।

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