अब मधुमक्खियों की फौज से जंगली हाथियों को रोकने का प्रयोग
(शशि कोन्हेर) : जंगली हाथियों को आबादी में आने से रोकने के लिए अब नया तरीका अपनाया जा रहा है। पार्क प्रशासन गांव के आस-पास बीहाइव फेंसिंग यानी मधुमक्खियों के छत्ते लगाकर हाथियों को आबादी में आने से रोकेगा। रिहायशी में घुसकर हाथी आमतौर पर हमलावर हो जाता है। हाथियों के झुंड ग्रामीणों की फसलें भी बर्बाद कर देते हैं। कॉर्बेट के करीब 1288 वर्ग किमी के दायरे में रहने वाले लोग खेती पर ही निर्भर हैं। लेकिन जंगली जानवर उनकी फसलों को बर्बाद कर देते हैं।
आबादी में हाथियों के घुसने से जानमाल का खतरा हर वक्त बना रहता है। अधिकारियों के अनुसार, पार्क में पहली बार बीहाइव फेंसिंग के जरिए हाथियों को आबादी में आने से रोकने की योजना बनाई है। पार्क सीमा पर मधुमक्खियों के छत्ते लगाए जाएंगे। हाथी हमेशा मधुमक्खियों से दूर भागता है। अपने आसपास मधुमक्खियों की भनक लगते ही हाथी जंगल का रुख कर लेगा।
विशेषज्ञों की मानें तो कॉर्बेट पार्क से सटे गांव की सीमा पर चार से पांच फीट के पोल लगाए जाएंगे। एक पोल पर दो बॉक्स रखे जाएंगे। इनमें मधुमक्खियों का छत्ता रखा जाएगा। पोल की आपस में दूरी तीन से पांच मीटर तक होगी। विशेषज्ञ बताते हैं कि हाथी मधुमक्खियों से खौफ खाता है। वह सुरक्षित रास्ते का रुख कर लेता है।
कॉर्बेट पार्क में दो सालों में हाथी पांच लोगों पर हमला कर चुका है। हालांकि इन घटनाओं में लोग बाल-बाल बचे भी हैं। लेकिन हाथी के आबादी में आने से हमले का खतरा बढ़ भी सकता है।
कॉर्बेट पार्क के डिप्टी डायरेक्टर नीरज शर्मा ने बताया कि कॉर्बेट के आसपास 17 ईडीसी गांव हैं। गांव वालों को इस योजना के बारे में बताया जाएगा। मधुमक्खी पालन की जिम्मेदारी विभाग के अलावा ग्रामीणों को भी दी जाएगी। मौन पालन से मिलने वाले शहद से ग्रामीणों को रोजगार का साधन भी मिलेगा। हाथियों के प्रकोप से बचने पर बेहतर फसल आदि का लाभ होगा। जल्द इस संबंध में ग्रामीणों की बैठक ली जाएगी।
कॉर्बेट पार्क में साढ़े बारह सौ से अधिक हाथी हैं। ग्रामीणों के अनुसार, हाथियों के झुंड गांव के आस-पास ही दिखते हैं। बताया कि उनकी फसलों को हाथियों का झुंड अमूमन रौंद देते हैं। यह नुकसान ग्रामीणों को उठाना पड़ता है। पार्क के अधिकारियों की मानें तो पार्क में कई हाथी कॉरिडोर हैं, हाथी प्राय अपने परंपरागत रास्तों से ही आवाजाही करते हैं।