सुप्रीम कोर्ट ने कहा…निजी अस्पतालों को खुद करनी होगी अपने स्टाफ की सुरक्षा… सरकारों पर यह बोझ नहीं डाला जा सकता
(शशि कोन्हेर) : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ कर दिया कि निजी अस्पतालों को अपने स्टाफ की सुरक्षा खुद करनी होगी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों से निजी अस्पतालों को सुरक्षा कवर प्रदान किए जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। निजी अस्पताल व्यावसायिक उद्यम हैं जिनको अपनी सुरक्षा खुद करनी है।
शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अधिकारियों को अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों में पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है, ताकि मरीजों के रिश्तेदारों और अन्य लोगों द्वारा डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों पर हमलों को रोका जा सके।
जस्टिस एसके कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ ने कहा कि निजी अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों को अपनी सुरक्षा व्यवस्था करनी चाहिए। जहां तक सरकारी अस्पतालों का संबंध है तो उनकी सुरक्षा की व्यवस्था संबंधित अस्पतालों द्वारा की जाती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में अस्पताल, नर्सिंग होम और चिकित्सा केंद्र निजी हैं। पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से सवाल किया कि क्या आप चाहते हैं कि सरकार हर अस्पताल को सुरक्षा प्रदान करे..।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन और डॉ. सत्यजीत बोरा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि निजी चिकित्सा केंद्रों को अपनी सुरक्षा व्यवस्था खुद करनी चाहिए। आप सरकार पर बोझ नहीं डाल सकते। डॉ. सत्यजीत बोरा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन असम राज्य शाखा के अध्यक्ष हैं। इस बीच याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि वे याचिका में उचित संशोधन करेंगे और सुसंगत तथ्य रखेंगे।
पीठ ने कहा कि हम याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं क्योंकि इसमें विवरणों का अभाव है। हम इस तरह की अपील पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। निजी अस्पतालों को अपनी सुरक्षा व्यवस्था खुद करनी होगी। हम सरकार या केंद्र सरकार से यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे निजी अस्पतालों को सुरक्षा मुहैया कराएं। अधिवक्ता के यह कहने के बाद कि वे याचिका में संशोधन करेंगे। पीठ ने कहा- जरूरत होने पर ही इसे अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।