अगर, महापौर रामशरण यादव की बात पर सख्ती से अमल हुआ होता…तो दुर्गा विसर्जन के दौरान शहर को शर्मसार कर देने वाली अप्रिय वारदात नहीं होती
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। बिलासपुर शहर में दुर्गा विसर्जन के दौरान हुई हिंसक वारदात ने पूरे शहर को शर्मसार कर दिया है। बहरहाल, दुर्गा विसर्जन जुलूस में शामिल लोगों के द्वारा डीजे में तोड़फोड़.. जिस वाहन पर डीजे लगा था उसमें तोड़फोड़..और लाठी-डंडे से बुरी तरह मारपीट करने वाली घटना के आरोपियों की गिरहबान तक पुलिस के हाथ पहुंच चुके हैं। और पुलिस ने उनके साथ जैसा भी सम्मानपूर्वक बर्ताव करना था… ठीक वैसा ही सम्मान करते हुए अपनी कानूनी कार्रवाई भी कर दी है। लेकिन यह घटना बहुत से ऐसे सवाल छोड़ गई है जिनका जवाब अगर दुर्गा विसर्जन और स्थापना से पहले खोजा गया होता तो दुर्गा विसर्जन के दौरान शहर के माथे पर लगे इस कलंक से बचा जा सकता था।
बिलासपुर के प्रथम नागरिक और महापौर श्री रामशरण यादव ने दुर्गोत्सव के कुछ दिन पहले ही कलेक्टर को एक पत्र लिखकर उनसे शहर में विसर्जन जुलूस के दौरान और रात को 10 बजे के बाद डीजे बजने-बजाने और वाहनों पर लादकर विसर्जन जुलूस के दौरान डीजे बजाने पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का आग्रह किया था। और जहां तक हमारी जानकारी है। कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी ने महापौर श्री रामशरण यादव के आग्रह को स्वीकार करते हुए रात 10 बजे के बाद शहर में कहीं भी डीजे बजाने और विसर्जन जुलूस में डीजे ले जाने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई थी। इसमें यह भी कहा गया था कि अगर विसर्जन जुलूस में कोई डीजे भी साथ चलता है। तो जिस वाहन पर डीजे लगा रहेगा उस वाहन के चालक मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
अब आप सोचिए कि बिलासपुर शहर के प्रथम नागरिक और महापौर श्री रामशरण यादव के इस आग्रह पर अगर पूरी चैतन्यता के साथ कार्रवाई करते हुए बिलासपुर में रात 10 बजे के बाद डीजे बजाये जाने, एक निश्चित ध्वनि से अधिक जोर से बजाये जाने और वाहन पर डीजे लादकर विसर्जन जुलूस अथवा बारात आदि में बजाए जाने पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया जाना था। कलेक्टर ने महापौर की बात और उनके आग्रह को स्वीकार भी कर लिया था।
लेकिन तब फिर ऐसा क्या हुआ कि विसर्जन से पहले ही दुर्गा स्थापना के दौरान और फिर विसर्जन जुलूस में डीजे का जमकर उपयोग होता रहा। जब महापौर ने डीजे को लेकर जिला प्रशासन को पत्र लिखा था तो पूरे शहर ने उनकी सराहना की थी। लेकिन इसके बावजूद पता नहीं किन की सिफारिश,नेतागिरी और पहुंच के दम पर दुर्गोत्सव समितियां पूरी दमदारी से कानफोडू आवाज में डीजे बजा कर बिलासपुर शहर के विभिन्न मोहल्लों में रह रहे वृद्धजनों,मरीजों और बच्चों के साथ जानलेवा खिलवाड करती रहीं। बाहर हाल इस शर्मनाक वारदात से सीख लेते हुए अगर जिला और पुलिस प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। तो आने वाले समय में बिलासपुर को आगे कभी इस तरह शर्मसार नहीं होना पड़ेगा।