छत्तीसगढ़बिलासपुर

छत्तीसगढ़ी ओलंपिक खेल में शामिल हुए जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी.. भौंरा गिल्ली, डंडा, बांटी और कबड्डी खेल कर प्रतिभागियों को किया उत्साहित

(शशि कोन्हेर) : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों को वैश्विक पहचान दिलाने और लोगों में खेल के प्रति जागरूकता लाने शुरू की गई आने वाले समय मे छत्तीसगढ़ी ओलंपिक छत्तीसगढ़ राज्य का पहचान बनेगी छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेल गतिविधियों को ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में बढ़ावा देने तथा प्रतिभागियों को मंच देने का काम किया जा रहा है,इस समय राज्य के कोने-कोने में छत्तीसगढ़ ओलंपिक खेलों की धूम है।

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों कबड्डी खो-खो, फुगड़ी, पिट्ठुल, बिल्स, गेड़ी दौड़, भौंरा, रस्साकशी, बांटी, लंबी-कूद, ऊंची कूद, लंगड़ी दौड़ इत्यादि खेलों की प्रतियोगिताओं में गांव और शहरों के बच्चें, महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक भी दिलचस्पी ले रहे है। इसी कड़ी में आज जोन क्रमांक 07 के अंतर्गत लिंगियाडीह ,बहतराई , चिंगराज पारा क्षेत्र आते है जहाँ आज छत्तीसगढ़ी ओलंपिक अमरइया चौक कबड्डी मैदान में आयोजित किया गया था।

प्रतियोगिता की शुरुआत जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने भौरा चलाकर, गिल्ली डंडा, बांटी व कबड्डी खेलकर किया। अपने बीच जनप्रतिनिधी की मौजूदगी से खिलाड़ियों का उत्साह दोगुना हो गया।

जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विजय केशरवानी  ने कहा  छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री भुपेश बघेल लगातर राज्य के परंपराओं को सहेजने का काम कर रहे है छत्तीसगढ़ को देश मे आज एक अलग पहचान मिल गया है । यह मौका पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने का बेहतर अवसर है छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल लगातार छत्तीसगढ़ की परम्पराओं को सहेजने की दिशा में काम कर रहे है।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति, सभ्यता और विशिष्ट पहचान यहां की ग्रामीण परंपराओं और रीति रीवाजों से है। इसमें पारंपरिक खेलों का विशेष महत्व है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के इन खेलों को लोग भूलते जा रहे थे। खेलों को चिरस्थायी रखने, आने वाली पीढ़ी से इनको अवगत कराने के लिए छत्तीसगढ़ियां ओलंपिक खेलों की शुरूआत की गई है। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ के ये खेल मनोरंजक के साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं।


        
 

छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक में छत्तीसगढ़ के पारम्परिक 14 खेल विधाओं मेें प्रतियोगिताएं आयेाजित की जाएगी। इन खेल विधाओं में गिल्ली डंडा, पिट्टूल, रस्साकसी, बाटी, फुगड़ी, भंवरा, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, संकली, लंबी कूद, गेड़ी दौड़, 100 मी दौड़ और बिल्लस शामिल है। प्रतियोगिता तीन वर्गाें में आयोजित की जा रही है। पहला 18 वर्ष की आयु तक, दूसरा 18 से 40 वर्ष की आयु तक एवं तीसरा 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग तक महिला और पुरूष दोनों वर्ग में शामिल हो सकते है।

प्रतियोगिता पहले स्तर पर राजीव युवा मितान क्लब स्तर पर होगी। दूसरे स्तर में 8 क्लब को मिलाकर एक जोन बनाया जाएगा। चयनित खिलाड़ी विकासखण्ड स्तर पर होने वाली प्रतिस्पर्द्धा में भाग लेंगे। इसके बाद जिला, संभाग और अंतिम में राज्य स्तर पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में विजेता और प्रतिभागी दल को पुरस्कार राज्य युवा महोत्सव में दिया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने के साथ ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग के माध्यम से छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 6 अक्टूबर 2022 से 6 जनवरी 2023 तक पूरे राज्य में किया जा रहा है।


छत्तीसगढ़ी ओलंपिक खेल के दौरान जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ,वार्ड पार्षद ओमप्रकाश साहू, राजीव युवा मितान के अध्यक्ष शिबू सिंह ,राकेश सिंह व राजीव युवा मितान के सभी सदस्य  एवं जोन क्रमांक 07 के अधिकारी व कर्मचारिया उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button