दिल्ली का एक ‘भुतहा सरकारी बंगला’, जहां दो सीएम ने रहने से किया था इनकार…. एक मंत्री ने की जिद तो हो गई मौत
(शशि कोन्हेर) : भुतहा बंगला के नाम से कुख्यात शामनाथ मार्ग का बंगला नंबर 33 एक बार फिर चर्चा में है। यह वही बंगला है जहां पर स्थित दिल्ली संवाद एवं विकास आयाेग के उपाध्यक्ष के कार्यालय को उपराज्यपाल के आदेश पर सील कर दिया गया है। इस आदेश के तहत उपराज्यपाल ने उपाध्यक्ष जस्मिन शाह के इस कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगा दी है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब इस बंगले काे लेकर विवाद हुआ हो।आजादी के बाद से यहां से नेतृत्व देने वालों के साथ विवाद की कहानियां जुड़ती रही हैं। जो भी यहां रहा या जिसने यहां कार्यालय बनाया उसके साथ विवाद जुड़ता रहा है। पूर्व में यहां रहने वाले दो मुख्यमंत्री तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं।
यह शामनाथ मार्ग का बंगला नंबर 33 है। यह 5500 वर्गमीटर में फैला दो मंज़िला बंगला है।बंगले में तीन बेडरूम, ड्राइंग रूम, डाइनिंग हाल और कांफ्रेंस रूम हैं। बंगले में गार्ड के लिए अलग कमरा है और नौकरों-चाकरों के लिए अलग से 10 क्वार्टर हैं। बंगले के चारों तरफ़ एक बड़ा सा लान है। बग़ीचे में पानी का फव्वारा है। आज़ादी के बाद इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री निवास के लिए सबसे बेहतरीन माना गया। दिल्ली विधान सभा यहां से महज़ 100 गज़ दूर है।
सूबे के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश ने 1952 में इसे अपना निवास बनाया। 1993 में दिल्ली के एक अन्य मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना भी यहीं रहे। दोनों मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल ख़त्म होने से पहले ही पद छोड़ना पड़ा।मदनलाल खुराना की गद्दी जाने के बाद किसी ने इस बंगले को अपना घर नहीं बनाया। अफ़वाह फैल गई कि ये बंगला मनहूस है। मुख्यमंत्री बनने के बाद साहब सिंह वर्मा और शीला दीक्षित ने इसमें रहने से मना कर दिया।