लॉ कॉलेज में हिंदू विरोधी किताब पर हंगामा, प्रिंसिपल ने दिया इस्तीफा; जानें पूरा मामला
(शशि कोन्हेर) : मध्य प्रदेश में इंदौर जिले के शासकीय विधि महाविद्यालय में शनिवार को जमकर हंगामा हुआ। हंगामे की वजह हिंदू विरोधी किताब है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने इसे लेकर प्राचार्य से इस्तीफा देने की मांग की। वहीं, हंगामा बढ़ता देख प्रिंसिपल डा इनामुर्रहमान ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त को भेज दिया है।
छह प्रोफेसरों ने विद्यार्थियों को भड़काया
दरअसल, शासकीय विधि महाविद्यालय के छह प्रोफेसरों ने संप्रदाय विशेष के खिलाफ विद्यार्थियों को भड़काया था। महाविद्यालय की लाइब्रेरी में डा. फरहत खान द्वारा लिखी विवादित किताब (सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति) भी मिली है, जिसमें हिंदुओं, आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और विहिप (विश्व हिंदू परिषद)के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द लिखे गए हैं।
शासन ने किया हस्तक्षेप
इस मामले में अब शासन ने हस्तक्षेप किया है। उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को मामले की जांच सौंपी है। उन्होंने कहा कि शासकीय विधि महाविद्यालय, इंदौर में धार्मिक कट्टरता फैलाने के मामले में छह शिक्षकों की भूमिका और विवादित किताब की भी जांच की जाएगी। विवादित किताब एक निजी प्रकाशन की बताई जा रही है। मामलों में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए दिया आवेदन
इस बीच, शुक्रवार को छात्र नेताओं ने भंवरकुआं थाने पहुंचे और आपत्तिजनक पुस्तक के मामले में एफआईआर दर्ज कराने की मांग करते हुए आवेदन दिया। बताया जाता है कि कालेज प्रबंधन ने विवादित पुस्तक को खरीदा है, जो वहां की लाइब्रेरी में मौजूद है।
मामले की जांच के दो कमेटी बनाने पर उठे सवाल
महाविद्यालय प्रबंधन ने भी धार्मिक कट्टरवाद फैलाने के आरोपित छह शिक्षकों और विवादित पुस्तक को लेकर स्थानीय स्तर पर जांच शुरू कर दी है। महाविद्यालय प्रबंधन के अनुरोध पर सेवानिवृत्त जज व देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के लोकपाल नरेंद्र सत्संगी पूरे मामले की जांच करेंगे। उच्च शिक्षा विभाग ने भी एक जांच समिति बनाई है।
इस जांच समिति में अतिरिक्त संचालक डा. किरण सलूजा, होलकर कालेज के प्राचार्य सुरेश सिलावट, अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के प्रोफेसर अनूप व्यास शामिल हैं। विभाग के ही अपर मुख्य सचिव को जांच सौंपे जाने के बाद समिति की उपयोगिता रहने पर संदेह है। दोनों जांच समितियों के सदस्य कालेज के प्रथम वर्ष से अंतिम वर्ष के पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों के अलग-अलग समूह से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि दो समिति बनाने का क्या मतलब है।
अतिरिक्त संचालक ने कालेज के प्राचार्य से ली जानकारी
अतिरिक्त संचालक किरण सलूजा ने मामले में शुक्रवार को कालेज के प्राचार्य को बुलाया और पूरे मामले की जानकारी ली। अभाविप के छात्र नेताओं के आरोप व कालेज प्राचार्य द्वारा दी गई जानकारी का समावेश करते हुए उन्होंने एक रिपोर्ट उच्च शिक्षा के विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को शुक्रवार को भेजी।
क्या है पूरा मामला
महाविद्यालय के प्रोफसरों पर हिंदू विरोधी गतिविधियां कराए जाने का आरोप है, जिसे लेकर गुरुवार को एबीवीपी ने प्रदर्शन किया था, जिसके बाद छह प्रोफेसरों को पांच दिन के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया था। एबीवीपी ने आरोप लगाया था कि महाविद्यालय के प्रोफेसर कालेज में कश्मीर से 370 धारा हटाए जाने का विरोध करते थे। इसके अलावा, वे देश और भारतीय सेना के विरोध की बातें भी किया करते थे। इतना ही नहीं, प्रोफेसर कालेज की छात्राओं को अकेले में मिलने के लिए कहते थे। इस पूरे मामले से प्रदेश सरकार बेहद नाराज है। माना जा रहा है कि सभी छह प्रोफसरों का तबादला हो जाएगा।
किताब में लिखे विवादित अंश, जिन पर मचा बवाल
पुस्तक की लेखिका फरहत खान ने अपनी किताब ‘सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति’ में कई विवादित अंश लिखे हैं, जिसे लेकर विवाद हुआ है। इन्हें लेकर बवाल मचा हुआ है। किताब में लिखा गया है;
हिंदू संप्रदाय विध्वंसकारी विचारधारा के रूप में उभर रहा है।
विश्व हिंदू परिषद जैसा संगठन हिंदू बहुमत का राज्य स्थापित करना चाहता है। वह किसी भी बर्बरता के साथ हिंदू राज्य की स्थापना को उचित ठहराता है।
हिंदुओं ने हर संप्रदाय से लड़ाई का मोर्चा खोल रखा है।
पंजाब में सिखों के खिलाफ शिव सेना जैसे त्रिशूलधारी नए संगठन ने मोर्चा बना लिया है।
पंजाब का सच आज यह है कि मुख्य आतंकवादी हिंदू हैं और सिख प्रतिक्रिया में आतंकवादी बन रहा है।
कमाल यह है कि पहले मुसलमान चिल्लाया करते थे कि अल्पसंख्यक इस्लाम खतरे में है, पर आज हिंदू चिल्ला रहा है बहुसंख्यक हिंदू खतरे में हैं।
आज हिंदू बहुसंख्यक, हिंदू अल्पसंख्यक मुसलमान पर अपनी इच्छा थोपने का काम कर रहा है, जो सांप्रदायिक संघर्ष का कारण बन रहा है।
जब धार्मिक स्थलों की 1947 की स्थिति कायम रखी जाएगी तो अयोध्या का मंदिर इस कानून की सीमा से क्यों बाहर किया गया।
आरएसएस ने भाजपा को कांग्रेस का विरोध करने से रोका तो कांग्रेस को भी आदेश दिया कि अयोध्या का विवाद कानून से बाहर रखें, ताकि भाजपा अपनी सांप्रदायिक राजनीति करती रहे।
हिंदुओं के जितने भी सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिंक संगठन बने हैं, उनका एक मात्र उद्देश्य मुसलमानों का विनाश करना है और शूद्रों को दास बनाना है। हिंदू राजतंत्र का शासन वापस लाकर ब्राह्मणों को पृथ्वी का देवता बनाकर पूज्य बनाना है।
छात्र नेताओं द्वारा की गई शिकायत व आरोपों पर निष्पक्ष जांच कराई जा रही है। शासन ने भी इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई है। कालेज प्रबंधन की तरफ से जांच समिति को सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
– डा.रहमान, प्राचार्य, शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय