भाजपा-कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के लिए “वार्म-अप” हो रहे दर्जनों दावेदार…नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम जनता में शुरू हुई..इसको टिकट मिलेगी और इसकी टिकट कटेगी,जैसी चर्चाएं..!
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – प्रदेश में विधानसभा चुनावों को अब मात्र 10 या फिर 11 महीनें ही शेष हैं। प्रदेश में एकाएक सक्रिय और आक्रामक हुए विपक्ष तथा सत्ता पक्ष के नेताओं मंत्रियों की बढ़ती दरियादिली भी इसी ओर इशारा कर रही है कि अब पूरा प्रदेश चुनाव “मोड” में आने लगा है। वैसे तो हर हमेशा प्रदेश के चुनाव काफी खींचतान वाले रहा करते हैं। लेकिन इस बार का संघर्ष कुछ ज्यादा तीखा होगा..ऐसा अभी से दिखाई दे रहा है।
भानूप्रतापपुर के एक उपचुनाव में सत्ता और विपक्ष की जैसी भाषा तथा तेवर दिखाई दे रहे हैं। उससे अंदाज लगाया जा सकता है कि प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव का माहौल कैसा खींचतान भरा रहेगा..? चुनाव की नजदीकी को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस मैं विभिन्न सीटों से टिकट के दावेदारों ने राजनीतिक बढाने के साथ ही “वार्म-अप” होना शुरू कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में जिस तरह टिकट वितरण में बड़े पैमाने पर बुजुर्ग और पुराने नेताओं का सफाया किया है। उसकी दहशत छत्तीसगढ़ में सांफ दिखाई दे रही है। हालत यह है कि यहां भाजपा का कोई भी बड़ा नेता यह दावा करने की स्थिति में नहीं है कि उसे टिकट मिलेगी ही…और इस क्षेत्र से ही मिलेगी। जाहिर है कि जब गुजरात से पुराने दिग्गजों के टिकट काटे जाने की हवा छत्तीसगढ़ की ओर भी बह निकली है। तो यहां भाजपा टिकट के तमाम दावेदारों की उम्मीदों को पंख लगने ही हैं। हमारा दावा है टिकट के दावेदारों का संभावित सैलाब इस बार भाजपा का “अनुशासित पार्टी” होने का दावा ध्वस्त कर देगा। वैसे भगवा ब्रिगेड में टिकट के कुछ दावेदारों ने बिलासपुर, रायपुर राजनांदगांव और दिल्ली तथा हिमाचल प्रदेश तक की दौड़ शुरू कर दी है।
कांग्रेस में भी कमोबेश ऐसा ही माहौल है। लगातार 15 साल तक सत्ता से अलग रही कांग्रेस में सन् 2019 की जबरदस्त जीत ने जबरदस्त उत्साह बना दिया है। आज कांग्रेस के जितने भी नेता दिखाई दे रहे हैं उनमें से तीन चौथाई से अधिक अलग-अलग सीटों से दावा करने की तैयारी में लगे हुए हैं। इसी तरह आज भाजपा और कांग्रेस में जो नेता एक दूसरे के गले में हाथ डाल कर घूमते नजर आ रहे हैं। उनके बीच भी आगामी चुनाव के पहले ही “टिकट सुंदरी” के मोह में मतभिन्नता और गुप्त शत्रुता पैदा हो सकती है। हमारा स्पष्ट मत है कि इस बार टिकट के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में जबरदस्त संघर्ष दिखाई देगा। और इन दोनों ही प्रमुख पार्टियों के जिन छोटे-बड़े दावेदारों को टिकट नहीं मिलेगी। वे भी निर्दलीय तथा दूसरी राजनीतिक पार्टियों का दामन पकड़ कर ताल ठोंकते नजर आ सकते हैं। बहरहाल, हम सभी को आगामी विधानसभा चुनाव के काफी पहले से ही पूरे प्रदेश में अभूतपूर्व सियासी ड्रामा देखने को मिल सकता है। और यह ड्रामा निश्चित ही ओटीपी और नेटफ्लिक्स पर चलने वाली किसी भी हिट फिल्म और धारावाहिक से अधिक सुपरहिट होने के पूरे आसार हैं।सो इंतजार करिये…. बस दो-तीन माह में इस सियासी रंगमंच का पर्दा उठने ही वाला है।