छत्तीसगढ़ी को संसद में सम्मान मिले, पद्मश्री चतुर्वेदी के सपनों को पूरा करने सांसद प्रस्ताव लाएं : डॉ. पाठक
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी साहित्यकार, कवि,पत्रकार पद्मश्री पं श्यामलाल चतुर्वेदी की चतुर्थ पुण्यतिथि पर विधायक, जनप्रतिनिधि और साहित्यकारों ने छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिलाने केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के िलए सांसदों से भगीरथ प्रयास करने की मांग उठाई। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा.विनय पाठक ने कहा कि छत्तीसगढ़ी के छत्रप पं चतुर्वेदी की अंतिम इच्छा छत्तीसगढ़ी को राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित होते हुए देखने की थी। उनका यह सपना तभी पूरा होगा जब सभी सांसद मिलकर केंद्र से छत्तीसगढ़ी को आठवीं अऩुसूची में शामिल कराने का प्रस्ताव पास कराएंगे। उन्होंने कहा कि पं चतुर्वेदी की आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब हिंदी, अंग्रेजी के साथ छत्तीसगढ़ी का त्रिभाषा फार्मूला लागू होगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि राज्य गठन के पूर्व से पं चतुर्वेदी सहित कई महापुरुष छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने के िलए पुरजोर प्रयास करते रहे। छत्तीसगढ़ विधानसभा से छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा देने विधेयक लाया जा चुका है। अब कोई भी विधायक सदन में अपनी बात छत्तीसगढ़ी में रख सकते हैं, परंतु छत्तीसगढ़ी को संसद में सम्मान मिले, राज्य के सांसद छत्तीसगढ़ी में अपनी बात रख सकें, यही पं चतुर्वेदी का सपना था। यह तभी पूरा होगा जब राष्ट्रपति से इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी मिलेगी। सांसद इसके िलए प्रयासरत हैं।
सेवा के लिए सदैव याद किए जाएंगे: पांडेय
नगर विधायक शैलेश पांडेय ने कहा कि पं चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ी साहित्य के साथ साथ समाज सेवा के िलए भी सदैव याद किए जाएंगे। उऩके कार्यों को आगे बढ़ाने, इस दिशा में सार्थक काम कर उनके प्रति वास्तविक श्रद्धांजलि अर्पित की जा सकती है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने कहा कि पं चतुर्वेदी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। सादगी पूर्ण जीवन और उच्च आदर्शों से उन्होंने अपनी पहचान स्थापित की। सभापति शेख नजीरुद्दीन ने कहा कि पं चतुर्वेदी की यादों को संजोए रखने के लिए नगर निगम ने उनकी प्रतिमा स्थापना के साथ स्मार्ट रोड के नामकरण का प्रस्ताव पास कर उसे मूर्त रूप दिया, ताकि भावी पीढ़ी वर्षों तक उनसे प्रेरणा ले सके। पूर्व मेयर किशोर राय ने कहा कि पं चतुर्वेदी ने हिंदी और छत्तीसगढ़ी के लिए प्रदेश से आगे बढ़कर समूचे देश के स्तर पर कार्य किया। यही वजह है कि भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से विभूषित किया।
बेलतरा विधायक रजनीश सिंह ने कहा कि पं चतुर्वेदी ने गांव से लेकर शहर तक योगदान दिया। सरपंच से लेकर साहित्यकार, पत्रकार, कवि हर भूमिका को उन्होंने बखूभी जीया। अभिनंदन समारोह में विष्णु प्रभाकर पहुंचे।
डा.विनय पाठक ने बताया कि पं चतुर्वेदी के छत्तीसगढ़ी भाषा, साहित्य के प्रति अवदान को लेकर भारतेंदू साहित्य समिति ने उनके संपादन में 1987 में अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन किया। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु प्रभाकर सहित नामचीन लोग पहुंचे। उन्होंने कहा कि पं चतुर्वेदी के व्यक्तित्व, कृतित्व पर उऩके निर्देशन में दो शोध छात्र पीएचडी कर चुके हैं। इस मौके पर कवि सनत तिवारी ने काव्यपाठ के जरिए श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में लायंस क्लब एवं कान्यकुव्ज ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अरविंद दीक्षित, पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा.सोमनाथ यादव, साहित्यकार राजेंद्र कुमार पांडेय, डा.एके यदु, नंदकिशोर शुक्ल,शशिकांत चतुर्वेदी, सूर्यकान्त चतुर्वेदी, शुभा पांडेय, ममता चतुर्वेदी, बिंदेश्वरी वर्मा, अंबर चतुर्वेदी,आदित्य तिवारी, एेश्वर्या चतुर्वेदी आदि उपस्थित थे।