रेलवे एसपी के तबादले के बाद जीआरपी का हाल… परम् स्वतंत्र न सिर पर कोई
(भूपेंद्र सिंह राठौर) : जीआरपी (शासकीय रेलवे पुलिस) के रायपुर में बैठने वाले पुलिस अधीक्षक का तबादला क्या हुआ मानों छत्तीसगढ़ का पुलिस मुख्यालय इस पद पर नियुक्ति की बात भूल ही गया।
कहा जा रहा है कि इस पद पर कोई आना नहीं चाहता.. कहां तो यह भी जा रहा है कि छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय को इतनी फुर्सत नहीं है कि वो रायपुर मुख्यालय के रेल एसपी के रिक्त पद को भरने के लिए ताबड़तोड़ ऑर्डर जारी कर सके। लिहाजा 1 माह पूर्व रेलवे एसपी के रायपुर से तबादले के बाद उनके कार्य क्षेत्र में आने वाले बिलासपुर,रायपुर ,रायगढ़, भिलाई और डोंगरगढ़ इन थानों का अब कोई माई बाप नहीं रह गया है।
इतने बड़े क्षेत्र को एक अपेक्षाकृत कम अनुभवी डीएसपी के हवाले कर दिया गया है। इससे इस पूरे क्षेत्र में जीआरपी की सक्रियता और कामकाज पर तो विपरीत असर पड़ ही रहा है। जीआरपी में तैनात लोगों को ही एसपी के ना होने से कई तरह की व्यक्तिगत और कार्यालयीन परेशानियां होने लगी है। जाहिर है कि बड़े अधिकारी की गैर मौजूदगी में जीआरपी के रेंज में आने वाला 5 थाना बिलासपुर,रायपुर, रायगढ़, भिलाई और डोंगरगढ़ और सात चौकी राजनांदगांव, दुर्ग, बालोद, चरोदा, भाटापारा, पेंड्रा, चांपा, क्षेत्र में रेल अपराध काफी बढ़ गए हैं।
और उन्हें रोकने का निर्देश देने वाले सर्वोच्च अधिकारी का पद रिक्त पड़ा हुआ है। जीआरपी के कर्मचारियों और अफसरों के चिकित्सा बिल मेडिकल अवकाश जैसी बहुत सारी समस्याओं का कोई निराकरण नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा तत्कालीन रेल एसपी धर्मेंद्र सिंह छवई के तबादले के बाद से उनके द्वारा बनाई गई एन्टी क्राइम यूनिट की टीम भी निष्क्रिय हो गया है।
एसपी के ना होने से कई कार्यों में थाना प्रभारियों समेत जवानों को समस्या आ रही है अब ट्रेनों में चोरी,जहरखुरानी ,गांजा तस्करी, शराब तस्करी, छीना झपटी जैसे गंभीर अपराधों की संख्या बढ़ने लगी है जिसका डर यात्रियों को काफी सता रहा है यदि जल्द ही पुलिस प्रशासन द्वारा जीआरपी में एसपी का पद नहीं भरा गया तो आने वाले दिनों में कोई गंभीर अपराध घटित हो सकता है।