देखें VIDEO – जिला चिकित्सालय में सुबह छह बजे…डाक्टर, कम्पाऊण्डर और नर्स…सब के सब.. ड्यूटी पर…! जी..हां ये सपना नहीं हकीकत है..
(शशि कोन्हेर के साथ जयेन्द्र गोले) : बिलासपुर – बिलासपुर शहर में सिम्स और जिला अस्पताल को खलनायक बताने के लिए जिस तरह प्रचार चल रहा है उसकी नगद फसल बरसों से बिलासपुर के निजी अस्पताल वाले काट रहे हैं। जबकि जिला अस्पताल और सिम्स में हर दिन जितने आउटडोर और इंनडोर मरीजों का इलाज होता है उसके आंकड़े आपको हैरत में डाल सकते हैं। आज तड़के सुबह जिला अस्पताल जाने का मौका मिला। वहां जो नजारा देखा। उससे यह शक होने लगा कि कहीं हम (मै और केमरामैन जयेंद्र गोले) सपना तो नहीं देख रहे हैं। सुबह 6 बजे अस्पताल के वार्डों में दीवार पर लगे ध्वनि विस्तारक के डिब्बों से निकलती धीमी और मधुर हनुमान चालीसा की कर्णप्रिय आवाज , फिर से एक बार यह सोचने पर विवश कर देती है कि हम, जिला चिकित्सालय के अलावा कहीं और तो नहीं हैं। मरीजों के बेड और उन पर लगी चादर पूरी तरह साफ सुथरी तथा करीने से बिछी हुई ।
हर बिस्तर पर मरीज उठ कर बैठे हुए हैं। और जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ अनिल गुप्ता तथा उनके साथ पूरा स्टाफ मरीजों की जांच और हाल-चाल जानने में जुटा हुआ है। अस्पताल के मरीजों ने बताया कि यह केवल आज का ही नजारा नहीं है। जिला अस्पताल में बीते कई दिनों से हर दिन सुबह 6 बजे ही सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल गुप्ता पहुंच जाते हैं। और इसी समय वार्डों में उनका राउंड शुरू हो जाता है। जाहिर है कि जब सुबह 6 बजे सिविल सर्जन वार्डों में राउंड पर मरीजों का हालचाल देख रहे हैं। तो पूरा चिकित्सा स्टाफ सिविल सर्जन के अस्पताल आने से पहले ही अपनी ड्यूटी पर तैनात हो जाता है। क्योंकि सुबह 6 बजे सिविल सर्जन राउंड करते हैं। इसलिए मरीजों के बेड और उनकी बेडशीट उसके पहले ही टीप-टाप हो जाती है। हमको उर्दू की ऑनलाइन याद आ गई जिसमें कहा जाता है कि बदले बदले से मेरे सरकार नजर आते हैं। बहरहाल, इस नजारे ने यह बता दिया है कि अब जिला चिकित्सालय खलनायकी का पुराना चोला उतारकर मरीजों के हमदर्द की भूमिका में दिखाई देने लगा है। आज सुबह-सुबह जिला चिकित्सालय में हमारी आंखों ने जो देखा..अगर वह रोज का नजारा बन जाए तो… इस शहर के गरीब गुरबा लोगों को अपने परिजनों के उपचार और इलाज की कोई चिंता नहीं करनी होगी। और यहां भर्ती मरीज तथा उनके परिजन डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को दिल से दुआएं देते दिखेंगे..हां…यह जरूर है कि अगर जिला चिकित्सालय आगे भी इसी तरह पटरी पर सरपट चलता रहा तो, शहर के कई निजी अस्पतालों में जल्द ही “मकड़ी के जाले” झूलते नजर आ सकते हैं।