बिलासपुर

बिलासपुर में सड़कों पर बेजा कब्जा का हाल….मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की..! पूरी तरह नाकारा और फालतू हो चुका है, नगर निगम का अतिक्रमण विरोधी हरावल रास्ता

(शशि कोन्हेर के साथ जयेन्द्र गोले) : बिलासपुर। आज से 20-25 साल पहले जब बिलासपुर नगर निगम में ना तो बेजा कब्जा के खिलाफ कोई अतिक्रमण विरोधी दस्ता था। और ना कॉउकैचर जैसी गाड़ी। जिसे खरीदा तो सड़कों पर डेरा जमाने वाले मवेशियों के लिए था। लेकिन कालांतर में वह सड़कों पर बेजा कब्जा करने वालों का सामान जब्त करने वाली गाड़ी बन गई। हममें से बहुतों को याद होगा कि जब नगर निगम के पास अतिक्रमण विरोधी दस्ता तक नहीं था। उस समय शहर में कहीं-कहीं छोड़कर बेजा कब्जा की कोई समस्या भी नहीं थी। लेकिन ज्यों-ज्यों नगर निगम बेजा कब्जा के खिलाफ “वार्म अप” होता गया। अतिक्रमण विरोधी हरावल रास्ता बनाता गया। उसी के साथ साथ शहर में बेजा कब्जा भी तेजी से बढ़ता चला गया। शहर के शनिचरी बाजार, बृहस्पति बाजार,कंपनी गार्डन, शिव चौक से लेकर कोरना चौक तक सड़क के दोनों ओर का एरिया, पुराना बस स्टैंड, लिंक रोड, सरकंडा क्षेत्र सीपत चौक से लेकर वसंत विहार और लिंगियाडीह तथा अपोलो अस्पताल तक का एरिया हर कहीं सड़क के दोनों और आपको बुरी तरह बेजा कब्जा और बेजा कब्जा धारी जरूर मिलेंगे। आज की तारीख में बेजा कब्जा की यह संक्रामक बीमारी बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में सर्वव्यापी और नासूर हो चुकी है। निगम ने भी समय के साथ बिलासपुर में होने वाले अतिक्रमण को हटाने और तोड़ने के लिए अलग से अतिक्रमण विरोधी दस्ता भी बना लिया।

इस दस्ते में काम करने वालों की तनख्वाह के रूप में हर माह पता नहीं कितने लाख रुपए स्वाहा कर दिए जाते हैं। यह दस्ता नगर निगम के शूरवीर प्रमिल शर्मा को दिया गया। इसके अलावा निगम का बेजा कब्जा विरोधी यह हरावल दस्ता ट्रैफिक पुलिस और पुलिस के साथ मिलकर भी लगातार कार्रवाई करता देखा जा सकता है। लेकिन अफसोस की बात है कि निगम और ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई जितनी ताबड़तोड़ ढंग से की जाती है। उससे भी अधिक ताबड़तोड़ ढंग से बिलासपुर में बेजा कब्जा की समस्या बढ़ती चली जा रही है। नगर निगम का अतिक्रमण विरोधी दस्ता सुबह कंपनी गार्डन के सामने से बेजा कब्जा हटाता है तो दोपहर को 3-4 बजे तक हटाई गई दुकानें फिर से सज जाती हैं। यही हाल बृहस्पति बाजार सरकंडा क्षेत्र कुदुदंड और शनिचरी समेत पूरे शहर का है। हम यह कह सकते हैं कि बिलासपुर नगर निगम का बेजा कब्जा हटाने के लिए बनाया गया अतिक्रमण विरोधी दस्ता पूरी तरह नाकारा और फालतू हो चुका है।

ऐसा लगता है कि इससे के द्वारा एक नारा बेजा कब्जा धारियों को दे दिया गया है कि हम सुबह तुम्हारा कबजा हटाते हैं। तुम शाम को फिर से सड़क किनारे अपनी दुकानें लगा लिया करो। अगर ऐसा नहीं होता तो किसी भी एक जगह पर महीने में 8 से 10 बार तोड़फोड़ की कार्रवाई होने के बावजूद वहां फिर से कैसे बेजा कब्जा की दुकानें कुकुरमुत्ते की तरह पनपने लगती हैं। बिलासपुर नगर निगम उसके फालतू और अति सक्रिय अतिक्रमण दस्ते और ट्रैफिक पुलिस की अलग-अलग और संयुक्त रूप से की गई बेजा कब्जा विरोधी कार्रवाइयों के लिए बस यही कहा जा सकता है कि… मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की…!

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