दिल्ली में मेयर चुनाव के लिए वोटिंग आज, आंकड़े AAP के साथ तो क्या ‘खेला’ होगा?
(शशि कोन्हेर) : आज दिल्ली में एमसीडी के मेयर पद के लिए चुनाव हैं लेकिन उससे पहले ही दिल्ली सरकार और LG के बीच एक नई जंग छिड़ गई है। एलजी ने एमसीडी में 10 एल्डरमैन नियुक्त कर आम आदमी पार्टी (AAP) के जले पर नमक छिड़क दिया है। ये एल्डरमैन स्टैडिंग कमेटी में अहम भूमिका निभाएंगे। हालांकि BJP ने मेयर पद पर उम्मीदवार उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है ।
लेकिन बीजेपी की सारी उम्मीदें क्रॉस वोटिंग पर आकर टिक गई हैं। कांग्रेस MCD में शुक्रवार को होने वाले मेयर, डिप्टी मेयर और स्थाई समिति सदस्यों के चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी।
केजरीवाल ने लिखी चिट्ठी
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने ऐलान करते हुए कहा कि वह चुनाव में वोटिंग से दूर रहेगी। दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस बार कांग्रेस के 9 पार्षद जीत कर आए हैं। दिल्ली में मेयर चुनाव से ठीक पहले एमसीडी में एल्डरमैन यानि मनोनित पार्षदों के मुद्दे पर एक बार फिर उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार में ठन गई है।
उपराज्यपाल ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एमसीडी में 10 पार्षदों की नियुक्ति की है लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को ये नियुक्ति असंवैधानिक लगत रही है। अरविंद केजरीवाल ने नियुक्तिों पर सवाल उठाते हुए एलजी को चिट्टी लिखी है। अपनी चिट्ठी में केजरीवाल ने लिखा कि एलजी ने एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी सरकार को बाईपास किया है,
एल्डरमैन की नियुक्ति दिल्ली सरकार के कामकाज में दखल है।एलडरमैन नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सीधा उल्लंघन है। नियुक्त किए गए एल्डरमैन 12 जोन का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इसलिए एलजी अपने फैसले पर फिर से विचार करते हुए 10 एल्डमैन के नामांकन का फैसला वापस लें।
सिसोदिया ने जताया ऐतराज
इतना ही नहीं दिल्ली के डिप्टी सीएम और दिल्ली का शहरी विकास मंत्रालय संभाल रहे मनीष सिसोदिया ने इन नियुक्तियों को लेकर एमसीडी के कमिश्नर को चिट्ठी लिखी है नाराजगी जताते हुए हुए सिसोदिया ने चिट्ठी में लिखा है कि एल्डरमैन को मनोनीत करने में नियमों का पालन नहीं किया गया और न ही फाइल को दिल्ली के शहरी विकास मंत्रालय के पास भेजा गया। फाइल न भेजकर सरकार को एलजी ने बाईपास किया है 10 पार्षद को मनोनीत करना 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है इसलिए एलजी के मनोनीत 10 पार्षदों को शपथ न दिलाई जाए।