कोलकाता में हाईकोर्ट जज के कक्ष के आगे वकीलों का धरना प्रदर्शन, ममता सरकार के खिलाफ दिए गए फैसलों का कनेक्शन..? अवमानना..!
(शशि कोन्हेर) : कलकत्ता उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा के खिलाफ वकीलों का विरोध प्रदर्शन नया मोड़ ले रहा है। न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने मंगलवार को उन वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है जिन्होंने एक दिन पहले उनकी अदालत की कार्यवाही बाधित की थी।
ये वकील न्यायाधीश मंथा द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ पिछले कुछ महीनों में दिए गए कुछ फैसलों से नाराज बताए जा रहे हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, ये आदेश तृणमूल कांग्रेस नेता से भाजपा विधायक बने शुभेंदु अधिकारी और टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी के एक रिश्तेदार से जुड़े मामलों से संबंधित थे।
सोमवार को, जब जस्टिस मंथा को कई मामलों की सुनवाई करनी थी, तो वकीलों के एक वर्ग ने उनके कोर्ट रूम के बाहर धरना दिया, कार्यवाही बाधित की और उनके कोर्ट में हिस्सा नहीं लेने का संकल्प लिया।
न्यायमूर्ति ने उनकी अदालत की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करते हुए निर्देश दिया कि निर्णय के लिए सभी संबंधित दस्तावेज मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव को भेजा जाए। न्यायमूर्ति मंथा ने अदालत कक्ष के बाहर प्रदर्शन् के दौरान के सीसीटीवी फुटेज को भी संरक्षित करने का निर्देश दिय।
ममता सरकार से जुड़े हैं ये दो मामले
उल्लेखनीय है कि कुछ वकीलों ने सोमवार को न्यायमूर्ति मंथा के कार्य विषय में बदलाव करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। कुछ वकीलों ने पूरे घटनाक्रम से मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव को अवगत कराया और मामलें हस्तक्षेप कर प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग की ताकि मुक्त आवाजाही सुनिश्चित हो सके।
कुछ वकील न्यायमूर्ति मंथा द्वारा पारित आदेशों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं जिनमें एक आदेश दिसंबर के आखिर का है जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक सुभेंदु अधिकारी को सुरक्षा प्रदान करने के साथ राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि वह उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना उनके खिलाफ कोई और प्राथमिकी दर्ज नहीं करे।
न्यायमूर्ति मंथा ने अधिकारी की याचिका में उल्लेखित सभी प्राथमिकी पर भी रोक लगा दी थी। अधिकारी ने दावा किया था कि राज्य सरकार के निर्देश पर विभिन्न पुलिस थानों में उनके खिलाफ 26 प्राथमिकी दर्ज की गई है ताकि उन्हें जनप्रतिनिधि के तौर पर कार्य करने से रोका जा सके। इससे पहले जस्टिस मंथा ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अभिषेक बनर्जी की भाभी मेनका गंभीर को मिले संरक्षण को हटा दिया था।