(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। 1974 का वह दौर जब केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने गुजरात और बिहार से संघर्ष का शंखनाद कर दिया था। सभी विपक्षी दलों को प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी और कांग्रेस के खिलाफ एकजुट करने की कोशिशें शुरू हुई थी।
इसी समय 1974 में सेठ गोविंददास के निधन से जबलपुर की लोकसभा सीट रिक्त हुई थी। इस चुनाव में 1952 से लगातार कांग्रेसी टिकट पर चुनाव जीते आ रहे गोविंद दास के पुत्र रवि मोहनदास कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में थे। शरद यादव उस समय जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे। और आंदोलनों के कारण ही उन्हें आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत बंद कर के बिलासपुर जेल में रखा गया था ।
जयप्रकाश नारायण ने 1974 के इस ऐतिहासिक चुनाव में शरद यादव को विपक्षी जनता मोर्चा का साझा प्रत्याशी घोषित किया था। श्री शरद यादव तब बिलासपुर जेल से छूट कर जबलपुर गए और यह चुनाव भारी मतों से (लगभग 75,000) जीत कर देश की राजनीति में अपना पहला कदम रखा। वे 7 बार लोकसभा सदस्य बने।
वे पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने देश के 3 राज्यों से चुनाव लड़ा और जीता। शरद यादव उत्तर प्रदेश के बदायूं से मध्यप्रदेश के जबलपुर से और फिर लगातार बिहार से सांसद बनते रहे। बिहार के मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से राजद के सुप्रीमो लालू यादव को 30000 से भी अधिक मतों से हरा चुके शरद यादव शुरू से ही समाजवादी विचारधारा के रहे।