विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तेलंगाना कांग्रेस में भी सुलग रही है असंतोष की आग..
(शशि कोन्हेर) : कांग्रेस आलाकमान भले ही राजस्थान में पार्टी नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी और रस्साकशी को गंभीरता से नहीं ले रहा है। लेकिन राजस्थान में पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में चल रहा घमासान अब निर्णायक लड़ाई में बदलता दिख रहा है। राजस्थान की तरह ही तेलंगाना में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। और वहां भी कांग्रेस के नेताओं में गुटबाजी और असंतोष के पलीते सुलग रहे हैं।
वहां पार्टी के अधिकांश नेता तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ए रेवंत रेड्डी के काम करने के तरीकों से सख्त नाराज हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी से पार्टी आलाकमान को भी अवगत करा दिया है।
इसे देखते हुए ही पार्टी है दिग्विजय सिंह को तेलंगाना का प्रभारी बनाकर असंतोष को खत्म करने की कोशिश की थी। लेकिन इस काम में दिग्विजय सिंह सफल नहीं हुए। इसके बाद पार्टी ने नए प्रभारी मानिकराव ठाकरे पर यह जिम्मेदारी डाली है।
लेकिन अपने प्रयासों में माणिक राव ठाकरे भी सफल हो पाएंगे इसके संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं। अनेक प्रयासों के बावजूद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री रेड्डी और उनके विरोधी खेमे के बीच चल रही खींचतान बढ़ती ही जा रही है। तेलंगाना में वैसे भी कांग्रेस की हालत निरंतर खस्ता होती जा रही है।
इस राज्य में पैर जमा चुकी भारतीय जनता पार्टी मुख्य विपक्षी दल के दर्जे से कांग्रेस को पहले ही अलग कर चुकी है। ऐसे में अगर कांग्रेस ने तेलंगाना में पार्टी के भीतर चल रहे असंतोष पर काबू पाते हुए सर्व सम्मत राह नहीं निकाली तो पार्टी को 2023 के विधानसभा चुनाव में और उसके बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।