बिलासपुर में भारी वाहनों से एंट्री वसूली और शहर के नो एंट्री वाले क्षेत्र में भारी वाहनों की एंट्री का चल रहा है खेल
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। बिलासपुर शहर की यातायात पुलिस वाकई बहुत बिजी है। उसके पास करने को इतने अधिक काम है कि चौक चौराहों की ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। बिलासपुर शहर की सीमा में प्रवेश करने वाली तमाम गाड़ियों से चक्का टैक्स की तरह एंट्री वसूली अभी भी बिना रोक-टोक के जारी है। कोयला गाड़ियों पर यातायात पुलिस और थानों की पुलिस विशेष रूप से मेहरबान है। इन गाड़ियों को रोक कर दिया जाने वाला एक विशेष तरह का सम्मान आज भी बदस्तूर जारी है। जिस थाना अथवा चौकी क्षेत्र से कोयले की गाड़ियां नहीं निकलती वहां तैनात पुलिसकर्मी और अफसर अपने आप को बदकिस्मत मानते हैं। वही कोरबा समेत कोयला गाड़ियों के इन वे में पडने वाले थानों में तैनात पुलिसकर्मी और अफसर यह मानते हैं कि उन्होंने पिछले जन्म में कोई पुण्य किया होगा इसलिए उन्हें ऐसे मालदार थाना थाने में तैनाती मिली है।
बिलासपुर पुलिस एक और तो एंट्री वसूलने में कोई कोताही नहीं बरती वही नो एंट्री में गाड़ियों की एंट्री के अलग से पैसे लिए जाने का सिलसिला भी जारी है। बिलासपुर की यातायात पुलिस ने नो एंट्री के शहर में लगे सभी बोर्ड या तो उखाड़ कर फेंक दिए हैं या फिर अगर बोर्ड लगे भी हैं तो उनका कोई मतलब नहीं है। आवासीय क्षेत्र होने के बावजूद नेहरू चौक से लेकर गांधी प्रतिमा तक धड़ल्ले से कोयले और निर्माण सामग्री तथा अन्य सामानों से लदी हाईवा पूरी रात की तरह दिन को 6 के बाद भी धड़ल्ले से चला करती हैं। आज बिलासपुर में कोई भी यह नहीं बता सकता कि यहां कौन कौन से रास्तों में कितने बजे से कितने बजे तक के लिए नो एंट्री है..? नो एंट्री में एंट्री के लिए यातायात पुलिस को भेंट चढ़ावा चढ़ाकर रोज बड़ी संख्या में गाड़ियां नो एंट्री के लिए तय समय और नो एंट्री वाले आवासीय क्षेत्रों की सड़कों में धड़ल्ले से आना-जाना करती देखी जा सकती हैं।