बिलासपुर

बिलासपुर में जब तक पवनदेव “आईजी” रहे उनके डर में “बिलों के भीतर” छुपे रहे सूदखोर… जमीन माफिया और मसल पावर तथा राजनीति के आशीर्वाद से फल फूल रहे हैं बेरहम ब्याजखोर

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। कल सूदखोरों के चंगुल में फंसे एक और युवा ने फांसी पर लटक कर अपनी जान दे दी। शहर के एक प्रमुख अखबार की माने तो इस युवक की तरह बिलासपुर में अब तक लगभग 25 लोग (कर्जदार) सूदखोरों के चंगुल में फंसकर अपनी जान दे चुके हैं। बिलासपुर में बीते कुछ सालों से कुकुरमुत्ते की तरह हर मोहल्ले में पनप रही है ब्याजखोरों की फौज। बिलासपुर के एक छोर में स्थित सकरी, मंगला कुदुदंड जरहाभाठा, घुरु-अमेरी, तिफरा राजेंद्र नगर,तिलक नगर,मगरपारा तालापारा चांटीडीह, लिंगियाडीह, चिंगराज, अशोकनगर बंधवापारा जबड़ा पारा दयालबंद और चुचहियापारा, समेत पूरे शहर में बीमारियों की खरपतवार के समान फैले हुए हैं हजारों सूदखोर।

इनके चंगुल में मध्यमवर्ग और निम्न वर्ग दोनों के ही हजारों युवक पिस रहे हैं। ऐसे भी सैकड़ों उदाहरण बिलासपुर में इस समय मिल जाएंगे जिसमें दो लाख रुपए कर्ज लेने वाला तीन चार गुना ब्याज और मूलधन पटा चुका रहता है उसके बाद भी सूदखोर उस पर 4 से 5 लाख रुपए बकाया निकालते हैं। ऐसे दसियों मामले बिलासपुर में समय-समय पर उजागर होते रहते हैं। सूदखोर पहले तो अपने शिकार से दोस्ती गांठ कर उसे थोड़ी मोटी रकम देना शुरू करते हैं। और एक बार उनसे रकम लेने के बाद कर्जदार ऐसा फंसता है कि उसकी भले ही जान चली जाए लेकिन कर्ज से पीछा नहीं छुटता।


बिलासपुर में आईपीएस पवन देव के “आईजी” रहते तक उनके द्वारा सूदखोरों पर कसकर नकेल कसी गई थी। उनके खिलाफ शिकायतें आने पर पूरे दबाव और ताकत के साथ शिद्दत से जांच की जाती थी। और सूदखोर चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो और उसे चाहे किसी का भी राजनीतिक संरक्षण क्यों न मिला हो..? आईजी पवन देव के चलते उन्हें किसी प्रकार की छूट नहीं मिल पाती थी और सख्त से सख्त कार्रवाई की जाती है।

इसके कारण पवन देव के आईजी रहते तक सारे सूदखोर डर के मारे बिलों में घुसे रहे। और अब बीते डेढ़ 2 साल से उनकी बर्बर हरकतें फिर शुरू हो गई हैं। नेताओं से नज़दीकियां और गुंडों से दोस्ती इन सूदखोरों का अमोघ अस्त्र बन गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस, अप्रोच और माफिया तथा नेताओं से रिश्तो की परवाह न कर अमानवीय तरीके से सूदखोरी करने वालों को लंबे समय के लिए जेल के भीतर भेजने की व्यवस्था करेगी। और ऐसा नहीं करने पर हमें सूदखोरों के चंगुल में फंस कर कुछ और युवकों के फांसी पर लटकने की पीड़ादायक खबरों के लिए सीने पर पत्थर रखकर तैयार रहना चाहिए।

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