बदले-बदले से सरकार नजर आते हैं, भाजपा में भी चल रहा निष्ठाएं बदलने का खेल..!
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – भारतीय जनता पार्टी के बारे में ये बहुप्रचारित है कि यह अलग चाल, चरित्र और चेहरे वाली पार्टी है। अनुशासन, इसका पहला और अंतिम एजेंडा है। मतलब यह कि किसी को अगर पार्टी में रहना है तो उसे अनुशासित तो, रहना ही होगा। हालांकि अब भाजपा 24 कैरेट वैसी ही नहीं रही, जिसका दावा तीन दशक पहले किया जाता था। अब यहां भी सत्ता और सत्ता की परिक्रमा, टिकट की भागदौड़, गुटबाजी और पसंदगी ना पसंदगी का खेल ऊपर से जितना कम दिखाई देता है, भीतर उसका कई गुना अधिक पसरा हुआ है। अब केसरिया पार्टी को यह बीमारी सत्ता के सत्संग से लगी अथवा कांग्रेस से..यह सोचनीय है।
कहा जाता है कि आदमी जिस से दुश्मनी कर लडता है… उसका स्वभाव भी कुछ कुछ उस दुश्मन जैसा ही हो जाता है। शायद इसीलिए भारतीय जनता पार्टी के दैनंदिनी कार्यकलाप कुछ कुछ कांग्रेस जैसे ही होते जा रहे हैं। यहां भी अब टिकट मिलने ना मिलने पर,लड़ाने जिताने- संतोष, असंतोष के खेल, कांग्रेस के समान ही भीतर तक अपनी जड़े जमा चुके हैं। बिलासपुर और मुंगेली जिले की ही बात लें तो जब से अगले चुनाव में पार्टी के कई विधायकों और नेताओं की टिकट कटने की बात हो रही है। तबसे पार्टी में निष्ठाएं बदलने का खेल खूब चल रहा है। बिलासपुर और मुंगेली जिले की तासीर अब पहले की तरह केवल एक देवता पर फूल चढ़ाने की नहीं रही। अब भाजपा में आमतौर पर समर्पित कार्यकर्ता तक, कई देवताओं पर फूल चढ़ाकर अपनी टिकट पक्की करते दिख रहे हैं। जिले में बिलासपुर के राजेंद्र नगर, रायपुर रोड के परसदा और नेहरू चौक के पास स्थित आवास इन तीन स्थानों में आने जाने वालों और फूल चढ़ाने वालों को देखकर आपकी आंखें फटी रह सकती हैं। और हो सकता है आपके मुंह से बरबस यह निकल जाए अरे ये भी यहां..? 15 साल तक सिविल लाइन राजेंद्र नगर का बंगला, बिलासपुर जिले की भाजपा का 10th डाउनिंग स्ट्रीट जैसा माद्दा रखा करता था। लेकिन केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के जमाने में अब बहुत से सियासी राजपथ बिलासपुर में भी दिखाई देने लगे हैं। दिन को राजेंद्र नगर में दिखाई देने वाले लोग, रात को परसदा और नेहरु चौक के पावर सेंटर मैं दिखाई देने लगे। हैं।
यही हाल, परसदा के पावर सेंटर में जमें रहने वाले अनेक नेताओं का है। कुछ लोगों को तो भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने खुद बोल कर दूसरे नेताओं के यहां तैनात कर रखा है। जिससे, वहां कौन आते-जाते हैं..? क्या कहते हैं..? और किसके साथ आते-जाते हैं..?इसकी मिनट 2 मिनट जानकारी मिल सके। जैसे-जैसे आगामी विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आते जाएंगे। टिकट मांगने वाले और दूसरों की टिकट कटवाने वाले..सभी तरह के लोग इन्हीं पावर सेंटरों के चक्कर लगाते दिखाई देंगे। रेलवे क्षेत्र एक नेता और सरकंडा के दो नेताओं ने तो सीधे दिल्ली के नेताओं तक फंदौली लगा रखी है। ये नई भाजपा है…यहां जिनकी बिलासपुर के दिग्गजों से नहीं बनती…ऐसे लोगों को भी बिलासपुर के बाहर महत्वपूर्ण ओहदे मिलते जा रहे हैं। हालांकि अब भारतीय जनता पार्टी ने अपने बारे में ऐसा प्रचार कर रखा है कि पार्टी आने वाले विधानसभा चुनावों में अधिकांश नेताओं की टिकट काटने, और पैराशूट नेताओं को टिकट देने नहीं जा रही है। वहीं पार्टी का यह भी कहना है कि किसी भी पैराशूट नेता को टिकट नहीं दी जाएगी ऐसा नहीं है..और इसी तरह सभी नेताओं विधायको छाया विधायकों की टिकट काटी जाएगी, ऐसा भी नहीं है।
अब आप ही बताइए कि आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट चाहने वाले लोग और उनके समर्थक इसका क्या अर्थ लगाएं..? लिहाजा सभी नेता अपना-अपना रिज्यूम लेकर बिलासपुर के पावर सेंटरों की परिक्रमा शुरू कर चुके हैं। हम कुछ ऐसे लोगों को भी जानते हैं जो अपने रिज्यूम लेकर सीधे दिल्ली के गलियारों में घूम रहे हैं। और जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि भाजपा की विशेषता यह है कि वह खुद को अव्वल दर्जे की अनुशासित पार्टी बताती (घोषित करती) है। इसलिए हो सकता है कि हमारी बात को चौक चौराहे की “बात का बतंगड” कह दिया जाए। लेकिन हमें यह भी पता है कि यदि आप भाजपा के जिस किसी भी नेता से, यह पूछेंगे कि…अपने सीने पर हाथ रखकर बताओ….पार्टी में क्या चल रहा है..? तो आधे से अधिक नेता वही कहेंगे, जो हम आपको बता रहे हैं।
दरअसल पार्टी में कई लोगों की दिक्कत यह है कि अगर वे एक पावर सेंटर के दरवाजे पर अधिक दिखाई देते हैं तो,दूसरा नाराज हो जाता है और दूसरे के दरवाजे पर अधिक दिखाई देते हैं तो तीसरा नाराज हो जाता है। और इन दूसरे-तीसरे वरिष्ठों से बचते-बचाते और संतुलन बनाते हुए अपना काम “साध” लेने को ही शायद आज के जमाने में “राजनीति” कहा जाता है।