वैदिक हवन पूजन के साथ स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती मनाई गई
(मुन्ना पाण्डेय) : लखनपुर -(सरगुजा) डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल केवरी,लखनपुर में आर्य समाज के संस्थापक एवं डीएवी संस्था के प्रेरणास्त्रोत स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती मनाई गई। इस उपलक्ष्य में विशेष वैदिक हवन किया गया जिसमें सभी शिक्षक, शिक्षिकाएँ एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। प्राचार्य विनय कुमार श्रीवास्तव ने बताया की इस समय स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती मनाई जा रही है।
और इस श्रृंखला में पूरे वर्ष भर गतिविधियां चलती रहेंगी. स्वामी दयानंद सरस्वती एक साहसी समाजसुधारक, वेदों की महत्ता को स्थापित करने वाले तथा अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त कई कुरीतियों जैसे जाति व्यवस्था, बाल विवाह, मूर्तिपूजा का विरोध किया और “वेदों की ओर लौटो” का नारा दिया. आधुनिक भारत के चिन्तक तथा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद के बचपन का नाम ‘मूलशंकर’ था। उन्होंने वेदों के प्रचार के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की। ‘ यह उनका ही प्रमुख नारा था ।
उन्होने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म तथा सन्यास को अपने दर्शन का स्तम्भ बनाया।महर्षि दयानंद सरस्वती ने सामाजिक कुरीतियों एवं पाखंड के विरुद्ध वैदिक संस्कृति के आधार पर भारत के पुनरुद्धार का जो अभियान शुरू किया था, हमें सदा उस पथ पर अग्रसर रहना है।स्वामी दयानंद ने महिलाओं की शिक्षा के लिए सर्वप्रथम अलख जगाई थी।उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी एक महान संत, विचारक, समाज सुधारक एवं शिक्षा प्रेमी थे।
उन्होंने आर्य समाज की स्थापना कर समाज में फैली कुरीतियों एवं अशिक्षा को दूर किया। स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह एवं जाति के विभेद को दूर करने के लिए उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश की रचना की तथा मूर्ति पूजा का खण्डन किया। स्वाधीनता आंदोलन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस अवसर पर प्राचार्य ने सभी स्टॉफ एवं छात्रों को बधाई और शुभकामनाएं दीं.।