महाशिवरात्रि पर दूल्हा बारात लेकर पहुंचा अस्पताल, डॉक्टर और नर्सों ने किया बारात का स्वागत…जानिए पूरा माजरा
(शशि कोन्हेर) : खंडवा : आम तौर पर शादियां घर, मैरेज हॉल, मंदिर या फिर कोर्ट में होती है लेकिन मध्य प्रदेश में एक शादी इनमें से किसी जगह नहीं बल्कि एक ऐसी जगह हुई जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते. मध्य प्रदेश के खंडवा में हुई इस अनोखी शादी की चर्चा चारों और है. इस शादी में न तो कोई धर्मशाला थी और न ही कोई मैरेज गार्डन. खंडवा में हुई अनोखी शादी कोई धर्मशाला या होटल गार्डन में नहीं हुई बल्कि एक निजी अस्पताल में हुई.
दरअसल विवाह के तीन पहले दुल्हन सड़क हादसे में घायल हो गयी थी, जिसके बाद उसका इलाज निजी अस्पताल में जारी था . धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लगन लिखे जा चुके थे, जिसके कारण विवाह टलना नामुमकिन था. ऐसे में आपसी सहमति से ये शादी हुई. दोनों परिवारों में ये तय हुआ कि अस्पताल में ही विवाह की सभी रस्में निभायी जायें, जिसके बाद दूल्हा अस्पताल पंहुचा जहां दुल्हन से विवाह किया.
इस दौरान डॉक्टर और नर्स ने घराती बन बारात का स्वागत सत्कार भी किया. विवाह 16 फरवरी को तय था पर ऑपरेशन की वजह से डॉक्टरों की परमिशन के बाद 18 फरवरी को इस विवाह को किया गया. खंडवा में महाशिवरात्रि पर ये अनोखा विवाह हुआ. इस विवाह से समाज को संदेश दिया गया साथ ही पति- पत्नी के अटूट रिश्ते की नींव रखी गयी.
इस शादी में अस्पताल का वार्ड ही शादी का मंडप बना. शादी के तीन दिन पहले दुर्घटना में पैर और एक हाथ फ्रैक्चर होने के बाद अस्पताल में भर्ती दुल्हन को दूल्हे ने माला पहनाई फिर उसकी मांग में सिंदूर भरा और जीवन भर साथ देने का वादा किया. इस शादी का गवाह परिजनों के साथ अस्पताल के स्टाफ बने.
उज्जैन के भेरूघाट में रहने वाले राजेंद्र चौधरी ने खंडवा के एक निजी अस्पताल में भर्ती अपनी दुल्हन शिवानी को वरमाला पहनाई. खंडवा की रहने वाली युवती शिवानी सोलंकी का विवाह उज्जैन के रहने वाले युवक राजेंद्र चौधरी से 16 फरवरी को तय हुआ था.
शिवानी शादी के पहले अपने मामा के घर बड़वनी जिले के जुलवानिया गयी थी. उसी दौरान 13 फरवरी को बाजार में वाहन की टक्क़र से शिवानी का दायां पैर और हाथ दोनों फ्रेक्चर हो गया. खंडवा के निजी अस्पताल में भर्ती करांने के बाद शिवानी का ऑपरेशन तक करना पड़ा. परिजनों के अनुसार लग्न टिप लिखी गई थी इसलिए विवाह करना जरूरी था.
बाद में दोनों पक्षों ने बैठकर सहमति बनाकर अस्पताल में ही विवाह का निर्णय लिया. अस्पताल के डॉक्टर सिद्धार्थ श्रीमाली से परिजनों ने अस्पताल में विबाह की अनुमति मांगी थी. ऑपरेशन की वजह से दो दिन बाद 18 फरवरी को विवाह तय हुआ और इसी दिन शुभ कार्य में भागीदारी कर अस्पताल स्टाफ ने भी दूल्हा दुल्हन को शुभकामनायें दी