(दिलीप जगवानी) : बिलासपुर प्रेस क्लब के पहुना कार्यक्रम में आए अटल बिहारी विवि के कुलपति अरुण दिवाकरनाथ बाजपेयी ने फिजी यात्रा का अपना अनुभव पत्रकारों से साझा किया. वहां 12 वें अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन मे हिन्दी भाषा को विश्व पटल पर स्थापित करने पर व्यापक रूप से चर्चा की गई।
प्रेस क्लब में पत्रकारों की ओर से कुलपति अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई का स्वागत सत्कार किया गया. पिछले सप्ताह फिजी में अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन संपन्न हुआ जिसमें कुलपति श्री वाजपेई भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे. सम्मेलन का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया भारत के वैश्विक संबंधों को स्थापित करने में हिंदी की उपयोगिता के अलावा भाषाई समन्वय विश्व बाजार में हिंदी के जरिए बढ़ावा देने साथ ही भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम किस प्रकार स्थापित किया जाए इस पर व्यापक रूप से चर्चा की गई.
खास बात करीब 147 साल पहले फिजी भेजे गए लाखों भारतीय गिरमिटिया मजदूरों ने वहां भारतीय भाषा धर्म संस्कृति को स्थापित किया यह भारतवर्ष से उनका जुड़ाव है आज भी वहां बसे भारतीय मूल के लाखों लोग हिंदी बोलते समझते है. श्री वाजपेयी ने कहा फीजी मे भारतीय मूल के प्रधानमंत्री शिव प्रसाद ने हर बरस 15 फरवरी को गिरमिटिया दिवस मनाने की घोषणा की साथ ही सम्मेलन के दौरान वहां के संसद में हिंदी में भाषण दिया गया.
पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक 12 वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का यह विषय हिन्दी को विश्व मे स्थापित करने के उद्देश्यों को पाने तय किया गया. अटल बिहारी वाजपेयी विवि के कुलपति अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई ने बताया 31 देशों के ढाई हजार से अधिक प्रतिनिधि सदस्य सम्मेलन में शामिल हुए. इस मौके पर कंठस्थ नाम की एक वेबसाइट लांच की गई जिसमें 20 लाख से ज्यादा हिंदी शब्दों का समावेश है.
सदस्यों ने अनुवाद विषय पर भी अपनी बात रखी, जिससे विदेशी भाषाओं का हिंदी के साथ परस्पर जुड़ाव हो सके और हिंदी भाषा उन तक पहुंचे.आधुनिक संसाधनों तकनीक और अन्य भाषाओं के जरिए हिंदी को बढ़ावा देने पर विचार सुझाव रखे.
श्री वाजपेयी ने कहा फिजी की आबोहवा इतिहास संस्कृति में हिंदी को पूरा सम्मान मिला है, यही वजह है कि इस देश में 12 वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया. 15 से 17 फरवरी तक सम्मेलन विभिन्न सत्रों में चलाया गया.