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भारत के हर शहर में कश्मीर के नाम पर गली और चौराहे का नाम रखने की बात क्यों कर रहे हैं सद्गुरु

(शशि कोन्हेर) : ईशा फाउंडेशन के प्रमुख और आध्यात्मिक गुरु सदगुरु जग्गी वासुदेव ने सुझाव दिया है कि देश के हर बड़े शहर में किसी एक गली या चौराहे का नाम कश्मीर पर होना चाहिए। उनका कहना है कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ उसकी कहानी हर देशवासी को पता होनी चाहिए। ग्लोबल कश्मीरी पंडित कॉन्क्लेव में कश्मीरी पंडित समुदाय की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने यह सुझाव दिए हैं।

उन्होंने कहा, “हमें इसकी कहानी बताने की जरूरत है। मैं इसके समाधान के बारे में सोच रहा हूं, लेकिन जो भी आप सोचते हो उसको किसी ना किसी के द्वारा खत्म कर दिया जाता है क्योंकि उनके पास एक अलग नैरिटिव है। मुझे लगता है कि उस नैरेटिव को बदलना बहुत जरूरी है।”

हर बड़े शहर की गली, चौराहे या पर्वत का नाम कश्मीर के नाम पर हो
कॉन्क्लेव का आयोजन ‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा (GKPD)’ द्वारा किया गया था। इस पहल का उद्देश्य दुनिया भर में निर्वासित सभी कश्मीरी पंडितों को एक मंच पर लाना है, ताकि लोगों को कश्मीरी पंडित नरसंहार के बारे में पता चल सके।

इस दौरान, सद्गुरु ने कहा, “मैं पूरे देश से कह रहा हूं कि वे सरकार से मांग कर सकते हैं कि लोगों के साथ वहां जो अन्याय हुआ, कम से कम उस पर गौर किया जाए। कम से कम देश भर के हर बड़े शहर में किसी गली, चौराहे, पर्वत या चट्टान का नाम कश्मीर के नाम पर हो।”

सद्गुरु ने आगे कहा, “भारत में रहने वाले हर व्यक्ति को पता होना चाहिए कि हमारे लोगों के साथ क्या हुआ है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस त्रासदी के पीड़ितों का एक छोटा क्लिप लोगों को दिखाया जाए, ताकि दुनिया तक असली कहानी पहुंचे।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि 10-20 मिनट की एड क्लिप होनी चाहिए, जिसमें अलग-अलग परिवारों की पीड़ा दिखाई जाए। यह बहुत महत्वपूर्ण है। हम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं और जहां हमें संदेश फैलाने के लिए थिएटर की जरूरत नहीं है। सभी के पास फोन और कंप्यूटर है, ऐसे में लोगों तक इस कहानी को पहुंचाना और भी आसान है।”

कश्मीर के भविष्य को फिर से लिखने की जिम्मेदारी लें युवा
अपने संबोधन को लेकर सदगुरु ने एक ट्वीट भी किया और कहा कि युवाओं को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और कश्मीर के भविष्य को फिर से लिखना चाहिए। सद्गुरु ने कश्मीरी पंडितों को उनकी समृद्ध संस्कृति और इतिहास को प्रदर्शित करने के लिए अपना समर्थन देने की पेशकश की। उन्होंने कहा, “अगर आप ऐसा करना चाहते हैं, तो हमारा समर्थन है।

मान लीजिए कि दक्षिण में एक दिन कश्मीर दिवस होगा, जिसमें हम आपको वह सब कुछ प्रदान करेंगे जिसकी आपको आवश्यकता है। अपका साहित्य, कला, संगीत, सब कुछ प्रस्तुत करें और लोगों को आपके और आपकी कहानी को जानने दें, लेकिन ये कहानियां कश्मीरी संस्कृति की सुंदरता और शक्ति की भी हों, ना कि सिर्फ उन भयानक घटनाओं की जो भूतकाल में हुई हैं। यह महत्वपूर्ण है कि लोग आपके साथ वाइब करें और आपको समझ पाएं कि आप कौन हैं, ना कि सिर्फ उन्हें यह पता चले कि आपके साथ किसने क्या किया।

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