(देखें दो वीडियो फुटेज के प्रमाण) पीड़ितों की उपेक्षा और आरोपियों के साथ रहमदिली…क्या जानलेवा मारपीट की वारदातों में भी धारा 307 नहीं लगाने की कसम खा बैठी है सरकंडा पुलिस..? पीड़ित प्रार्थियों को मांडवली का शक..?
(शशि कोन्हेर के साथ प्रदीप भोई) : बिलासपुर – बिलासपुर शहर का सरकंडा थाना बीते कुछ अरसे से आपराधिक वारदातों के मामले में जिस तरह से कार्यवाही कर रहा है उससे अरपापार क्षेत्र में अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। और इस पूरे क्षेत्र में गुंडे मवालियों की खरपतवार ने जनता का जीना हराम कर दिया है। सरकंडा क्षेत्र के जबड़ापारा, चांटीडीह, चिंगराजपारा, बंधवापारा, इमली भाटा लिंगियाडीह और अशोकनगर समेत तमाम इलाकों में अपने साथ हुए अन्याय अथवा मारपीट की शिकायत लेकर सरकंडा थाना जाने वाले लोगों को “माथा देखकर चंदन” लगाया जा रहा है।
यह शायद शहर का इकलौता थाना है जहां जानलेवा हमले के मामले में भी आरोपियों पर धारा 307 की बजाए संदिग्ध कारणों से मामूली धाराएं लगाकर उन्हें राहत दी जाती है। यहां हम केवल दो उदाहरण दे रहे हैं लेकिन अगर जांच की जाए तो ऐसे ढेरों मामले जिनमें जानलेवा हमला होने के निशान और शरीर में लगे जख्मों के बाद भी धारा 307 की जगह मामूली धाराएं लगाकर आरोपियों को राहत और प्रा्र्थियों को आहत किया जा रहा है। 2 दिन पहले ही दो कारों में हुई मामूली टक्कर के विवाद पर एक पक्ष ने साथियों के साथ मिलकर दूसरे पक्ष के लोकेश उपाध्याय पर 5-6 युवकों ने स्टिक राड और बेसबॉल की बेट से जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले से लोकेश के सिर, गले सहित शरीर के अन्य भागों में गंभीर चोटें आई हैं। मारपीट के दौरान जब लोकेश का साथी अनमोल बीच बचाव के लिए आया तो उसके साथ भी आरोपियों ने मारपीट की।
(वीडियो फुटेज में आप लोकेश उपाध्याय पर हुए जानलेवा हमले का नजारा देख सकते है) पुलिस ने इस मामले में अभिनव शर्मा और उसके साथियों पर जुर्म तो दर्ज किया है लेकिन ऐसी धाराओं के तहत जुर्म दर्ज हुआ है जो 100 फ़ीसदी जमानती धाराएं मानी जाती हैं। जबकि इस मामले में मारपीट का शिकार हुए लोकेश उपाध्याय की चोटों को देखने के बाद कायदे से धारा पुलिस को अपने विवेक से ही धारा 307 लगा देना चाहिए था।
इसके अलावा भी बहुत से ऐसे संकेत लोगों को मिले हैं जिससे धाराओं के मामले में पुलिस के द्वारा मांडवली किए जाने का शक पैदा हो रहा है। जानलेवा हमले के ऐसे ही एक और मामले में भी आरोपियों को सरकंडा पुलिस की रहमदिली से भरपूर राहत और जमानती धाराओं की सौगात दी गई। यह मामला 8 अगस्त 2022 को हुआ था जिसमें प्रार्थी सरदारी लाल कश्यप पर उसके घर में घुसकर भीम कश्यप सुरेश कश्यप अनिल कश्यप और भीम कश्यप की पत्नी रेखा उर्फ बिट्टी कश्यप के द्वारा हमला और मारपीट की गई थी। इनके द्वारा सरदारी लाल कश्यप की पत्नी को घर से खींच कर आंगन में लाने के बाद उसके साथ भी जमकर मारपीट की गई। इसमें आरोपियों में से एक के हाथ में 3:30 फीट लंबा एक हथियार मौजूद था। जिससे उन्होंने सरदारी लाल कश्यप पर वार किए। इस हमले में घायल हुए सरदारी लाल कश्यप पहले 11 अगस्त से 13 अगस्त तक सिम्स में और उसके बाद 14 अगस्त की रात से 23 अगस्त तक अपोलो में भर्ती थे। लेकिन इसके बाद भी सरकंडा पुलिस ने आरोपियों के साथ मेहरबानी करते हुए मामूली जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जिससे आरोपियों को पूरी तरह से सम्मानजनक राहत मिल गई।
श्री कश्यप द्वारा पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ शिकायतें भी की गई। लेकिन उनका भी कोई असर नहीं हुआ। इस मामले में आरोपियों के हाथ में दिख रहे हथियार साढे 3 फुट लंबे हथियार (देखें वीडियो और तस्वीर) को सरकंडा पुलिस छोटा सा हंसिया बताने पर तुली हुई है। और इसी आधार पर वह आरोपियों के खिलाफ 307 धारा लगाने से साफ मुकर रही है। अगर जानलेवा हमले की वारदातों में गंभीर धाराओं के साथ पुलिस का ऐसी ही खिलवाड़ जारी रहा तो ना मालूम कितने प्रार्थियों को घोर निराशा और अन्याय का शिकार होना होगा। पुलिस के उच्चाधिकारियों से ऐसे मामलों में जांच पड़ताल की उम्मीद तो की ही जानी चाहिए।