बंगाल में ममता दीदी को लगा झटका, कांग्रेस को मिली ऑक्सीजन
(शशि कोनहेर) : बंगाल में पंचायत चुनावों से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। सागरदिघी विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में पार्टी कैंडिडेट को 22 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। इस चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट के साझा उम्मीदवार को जीत मिली है। 13 साल बाद ऐसा हुआ है,
जब इस सीट से टीएमसी को हाथ धोना पड़ा है। यहां पर ममता बनर्जी की पार्टी 2011 के बाद से लगातार चुनाव जीत रही थी। मुर्शिदाबाद जिले की इस सीट पर टीएमसी के विधायक और मंत्री रहे सुब्रत साहा की मौत के बाद उपचुनाव कराया गया है। साहा की बीते साल दिसंबर में मौत हो गई थी।
लेफ्ट पार्टियों के समर्थन वाले कांग्रेस उम्मीदवार बैरॉन बिस्वास को यहां जीत मिली है। इस जीत ने कांग्रेस को खुश कर दिया है। पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘मैं आज बहुत खुश हूं। मैंने जब कार्यकर्ताओं का उत्साह और प्रतिबद्धता देखी तो बहुत खुशी हुई। ममता बनर्जी के अंत की शुरुआत मुर्शिदाबाद जिले से हो गई है। यह लेफ्ट और कांग्रेस की साझा जीत है। टीएमसी को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्ष को साथ आना होगा। ममता बनर्जी ने हमेशा चुनाव जीतने के लिए अल्पसंख्यक कार्ड खेला है और उन्हें छला है।’
सागरदिघी सीट वाला इलाका बीड़ी उद्योग के लिए मशहूर रहा है और यहां की 60 फीसदी आबादी मुस्लिम है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में 18.5 फीसदी दलित और 6.5 फीसदी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग भी रहते हैं। कुल 2.3 लाख वोटरों वाली इस सीट पर कांग्रेस की जीत उसका हौसला बढ़ाने वाली है। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब वह बंगाल में अपने अस्तित्व के लिए भी जूझ रही है। इन नतीजों को लेकर टीएमसी की नेता ममता बनर्जी ने कहा कि इलेक्शन में लेफ्ट, कांग्रेस और बीजेपी का गठबंधन था।
ममता बनर्जी ने इस दौरान यह भी ऐलान कर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और लेफ्ट से गठजोड़ नहीं किया जाएगा। ममता बनर्जी ने कहा, ‘बीजेपी, सीपीएम और कांग्रेस के बीच अनैतिक गठबंधन था। भाजपा ने अपने हिस्से का वोट कांग्रेस कैंडिडेट को ट्रांसफर कराया है। लेफ्ट और कांग्रेस के लोग चाहते हैं कि ममता बनर्जी उनके साथ आ जाए, लेकिन इस तरह वे कैसे भाजपा से लड़ेंगे। टीएमसी ही अकेले इस गठबंधन से मुकाबला करेगी।’