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कोई 7 वोट से हारा, तो कोई मात्र 10-15 वोट के अंतर से निपट गया

(शशि कोन्हेर) : चुनाव में हर एक वोट कीमती होता है। हार और जीत एक वोट तय कर देता है। कुछ वोटों से चुनाव हारने का गम बहुत पीड़ा देता है तो चंद वोटों से मिली जीत की खुशी को मापने का कोई पैमाना नहीं होता। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मेघालय, नगालेंड और त्रिपुरा में 2 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। इन नतीजों में तीनों ही राज्यों में ऐसे उम्मीदवार विजेता बने जिनका जीत का अंतर चंद वोटों का था। कुछ उम्मीदवार वोटों की गिनती के समय भारत और पाकिस्तान के मैच जैसा दबाव महसूस कर रहे थे। हारने वाले प्रत्याशियों को लंबे समय तक चुनाव आयोग की लाइन कि ‘हर वोट जरूरी होता है’ याद रहेगी। नगालैंड में एक उम्मीदवार ने केवल सात वोटों से जीत दर्ज की जबकि मेघायल में एक प्रत्याशी ने 10 वोटों के अंतर से विजेता बना।

मेघालय
राजबाला सीट पर टीएमसी के उम्मीदवार डॉ. मिजानपुर रहमान काजी ने एनपीपी के एमडी अब्दुस सालेह को केवल 10 वोटों से हराया।
सोहरा में पीडीएफ के गाविन मिग्वेल ने यूडीएफ के टिटोस्सटर वेल चाइन को 15 वोटों से हराया।
डाडेंग्रे सीट पर टीएमसी की रूपा एम मराक की जीत का अंतर महज 18 वोटों का था। उन्होंने एनपीपी के जेम्स पांगसांग कोंगकाल संगमा को हराया।


त्रिपुरा
जुबराजनगर सीट पर माकपा के सैलेंद्र चंद्र नाथ ने भाजपा की मलीना देबनाथ को 296 वोटों से हराया।
जोलाईबाड़ी सीट पर आईपीएफट के शुक्ला चरन नाओटिया ने माकपा के देबेंद्र को 375 वोटों से हराया।
माकपा के जितेंद्र चौधरी ने भाजपा के शंकर रॉय पर 396 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।


नगालैंड
वेस्टर्न अंगामी सीट पर एनडीपीपी की एस क्रुसे ने निर्दलीय उम्मीदवार के नाखरो को महज 7 वोटों के अंतर से हराया।
फेक में एनपीएफ के कुझोलुजो नाइनू ने एनडीपीपी के कुपोता खेसोह को 48 वोटों से हराया।
सुरुहुतो सीट पर कांग्रेस पार्टी के एस तोइहो येप्थो ने भाजपा के एच खेहोवी को 69 वोटों से हराया।


त्रिपुरा और नगालैंड में भाजपा को फिर से बहुमत मिला है। नगालैंड में भाजपा गठबंधन को 37 और त्रिपुरा में 33 सीटें मिली हैं। मेघालय में मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की NPP सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। NPP के खाते में अभी 26 सीटें आई हैं, जो बहुमत से 4 सीट कम हैं। ऐसे में भाजपा और NPP फिर एक बार साथ आई हैं। पूर्वोत्तर के इस चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। नगालैंड में उसे एक भी सीट नहीं मिली। मेघालय में कांग्रेस को 4 सीटें और त्रिपुरा में वाम दल के साथ उसे 14 सीटों पर जीत मिली है।

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