VIDEO : वहा ब्रज में बरसाने की होली, लड्डू वाली होली और लठमार होली तो बिलासपुर के गोलबाजार में इस साल भी, जबरदस्त हंगामेदार रही मर्दों वाली, शरीफों की होली
(शशि कोनहेर) : बिलासपुर : होली पर्व के दौरान ब्रज क्षेत्र में लड्डू वाली होली फूलों वाली होली बरसाने की होली और लठमार होली काफी प्रसिद्ध है। लेकिन हमारे अपने शहर गोलबाजार की मर्दों वाली शरीफों की होली भी जोश खरोश के मामले में इनमें से किसी से भी कम नहीं है। इस साल भी बुधवार को रंग पर्व पर गोलबाजार की मर्दों वाली होली की जबरदस्त धूम रही। 9:30 बजे के आसपास शुरू हुई यह धमाकेदार होली तब तक चलती रही जब तक इसमें शामिल आखरी आदमी भी लस्त न पड़ गया। इस बार भी सैकड़ों दीवानों ने इसमें भाग लिया और खूब धमाचौकड़ी मचाई। इसे मर्दों वाली होली इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि यहां शरीर से कमजोर और उम्र दराज लोगों का कोई काम नहीं है। वे इस होली के केवल दर्शक मात्र रह सकते हैं।
जबकि फुटबॉल खिलाड़ियों की तरह चुस्त फूर्तीले और बलशाली लोग ही इस जबरदस्त होली की हंगामेदार धमाचौकड़ी वाले मैदान में उतर सकते हैं। और इसे शरीफों वाली होली इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यहां धमाचौकड़ी मचाने वाले तमाम लोग आमतौर शरीफ ही रहते हैं। कल गुरुवार को जितने लोगों ने ये होली खेली उससे कई गुना अधिक लोगों ने उतने ही जोश खरोश से इस होली को देखने का आनंद लिया।
पूर्व महापौर श्री राजेश पांडे और एवरग्रीन युवा श्री सुधीर खंडेलवाल तथा इनके जैसे ही धिक्कड बंधु बांधवों, इष्टमित्रों, और शहर भर से पहुंचने वाले होली प्रेमियों ने गोल बाजार की इस मर्दाना होली की शुरुआत कर इसे जबरदस्त लोकप्रिय बनाया। अब तो यह हाल हो गया है कि लोग अपने मोहल्लों में कालोनियों में होली खेलने के बाद एक बार गोल बाजार पहुंचकर वहां की इस होली का आनंद जरूर लेते हैं। कल बुरुवार को भी इस होली में हर साल की तरह जमकर हो- हंगामा और धमाचौकड़ी का माहौल बना रहा।
बावजूद इसके यह गोल बाजार की खासियत है कि एक साथ इतने अधिक लोगों के द्वारा धमाल-धमाचौकडी मचाए जाने के बावजूद एक अदृश्य अनुशासन वहां हर पल मौजूद रहा।। और पीने वालों, नहीं पीने वालों, पिलाने वालों तथा खूब पीने वालों सभी किस्म के लोग शहर भर से यहां होली का आनंद लेने पहुंचे और जमकर तीन चार घंटों तक नाचते कूदते रहे। वहीं उम्र दराज लोग, शरीर से कमजोर और अस्थमा के मरीज दूर खड़े होकर इस होली का आनंद लेते रहे।
इस होली में हमेशा की तरह कल भी दिखा जोश खरोश, उत्साह, भाईचारा और अपनापन काबिलेतारिफ और दर्शनीय था। कल भी जिस तरह से होली खेली गई। उसके बारे में हूबहू वर्णन करना पूरी तरह असंभव है। इसलिए बिना अधिक लिखे पढ़े आप सीधे-सीधे खबर के साथ प्रस्तुत वीडियो में इस मर्दों वाली और शरीफों की होली का आनंद लीजिए। जहां होली मनाने के लिए बनाए गए मैदान के ठीक ऊपर तोरण और पताकाओं की जगह लोगों के फटे (या फाड़े गये) कपड़े हवा में कुछ ऐसे फड़फड़ा रहे थे मानो अभी फटे कपड़े नहीं इस होली की शौर्य गाथा को फैलाने वाली पताकाएं हों।