छत्तीसगढ़

एसईसीएल को मिला वर्ल्ड वाटर अवार्ड् खदानों से निकले जल के सदुपयोग सहित जल संरक्षण के लिए वॉटर डाइजेस्ट ने दिया प्रतिष्ठित पुरस्कार

(इरशाद अली संपादक लोकस्वर टीवी) : बिलासपुर / एसईसीएल द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में विशेषकर खदानों से निकले जल के उपयोग को लेकर किए गए प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। दिनांक 16 मार्च को 16वें वाटर डाइजेस्ट वर्ल्ड वाटर अवार्ड्स 2023 के अंतर्गत पब्लिक सेक्टर श्रेणी में कंपनी को सर्वश्रेष्ठ जल प्रबंधन पुरस्कार प्रदान किया गया है। नई दिल्ली में एक भव्य कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत के करकमलों से उक्त पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी शिवानी दीदी तथा इस्राइल के राजदूत की विशिष्ट उपस्थिति रही।


पूरे एसईसीएल की बात करें तो वर्ष 22-23 में फरवरी’23 तक लगभग 735.07 लाख किलोलीटर पानी एसईसीएल की विभिन्न खदानों से निकला है। इसमें से लगभग 262.26 लाख किलोलीटर पानी को स्थानीय लोगों के प्रयोग के लिए प्रदाय किया गया है। जहां 25.70 लाख किलोलीटर पानी का पेयजल के रूप में इस्तेमाल हुआ है वहीं लगभग 236.56 लाख किलोलीटर पानी को 2,852 एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए प्रयोग किया गया है। खदान से निकले जल से 142 गाँवों की लगभग 61,000 आबादी लाभान्वित हुई है।


विदित हो कि खदानों से कोयला निकाले जाने की प्रक्रिया के दौरान माइन संप्स में भारी मात्र में पानी एकत्रित हो जाता है। खनन को सुचारु रूप से चलाने के लिए इस पानी को पंप की सहायता से बाहर सतह पर निकाला जाता है। खानों में जल संचयन मुख्यतः दो प्रकार से होता है। पहला भूमिगत खदानों में खनन के दौरान जल स्रोतों के कटाव के कारण। दूसरा खुली खदानों में जल स्रोतों के कटाव और वर्षा जल के एकत्रित होने के कारण। खदानों से निकलने वाले पानी की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए भी एसईसीएल सजगता से काम रही है। 17 रियल टाइम इफ्लुएंट मॉनिटरिंग सिस्टम्स की मदद से खदान से निकलने वाले जल की गुणवत्ता की लगातार जांच की जाती है।     

       
एसईसीएल जोहिला क्षेत्र में पिपरिया जल आपूर्ति (सिंचाई) योजना के माध्यम से पिपरिया भूमिगत खदान से प्रतिदिन निकलने वाले लगभग 21.60 लाख गैलन पानी को उपचारित करने के बाद पिपरिया और सिमरिया गावों तक पहुंचाया जा रहा है। यह पानी यहाँ की लगभग 600 एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई के लिए प्रयोग में लिया जा रहा है जिससे यहाँ रहने 1500 ग्रामवासी लाभान्वित हो रहे हैं। जोहिला क्षेत्र में ही जमुनिया जल आपूर्ति (पेयजल एवं सिंचाई) योजना के अंतर्गत उमरिया भूमिगत खदान से प्रतिदिन निकलने वाले 28.80 लाख गैलन पानी को उपचार के पश्चात जमुनिया, सरहाटोला, लालपुर, बिलाईकाप जैसे गांवों की लगभग 5000 आबादी को पीने और सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ खदान से निकलने वाले पानी को उमरिया नगर पालिका के फिल्टर प्लांट को भी सप्लाई किया जाता है जोकि फिल्टर होने के बाद उमरिया जिले के रहवासियों को भेजा जाता है।पानी जैसे दुर्लभ संसाधन को बचाने के लिए एसईसीएल ने जल संरक्षण का बीड़ा उठाया है। कंपनी खदान से निकलने वाले पानी के उपचार के लिए खुली खदानों में सेडिमेंटेशन टैंक/सेटलिंग तालाब बनाने पर काम कर रही है  जो वॉटर रिचार्ज बेसिन के रूप में काम करते हैं।
नई दिल्ली में आयोजित उक्त समारोह में एसईसीएल के प्रतिनिधि मण्डल में श्री मानस साहू मुख्यप्रबंधक (सिविल) शामिल रहे।

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