बिजली अधिकारी ने दफ्तर में लगाई थी लादेन की फोटो, अब हुए नौकरी से बर्खास्त
(शशि कोन्हेर) : यूपी में बिजली विभाग के उप खंड अधिकारी रविंद्र प्रकाश गौतम को अपने कार्यालय में ओसामा बिन लादेन की तस्वीर लगाना बहुत महंगा पड़ गया है। जांच में आरोप सही पाए जाने पर यूपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने उन्हें सोमवार को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। एसडीओ पर अधिकारियों के खिलाफ अमर्यादित, अश्लील भाषाशैली का प्रयोग करते हुए पत्राचार करने का आरोप भी था। विभिन्न स्तरों पर हुए जांच की रिपोर्टों का अध्ययन व साक्ष्यों को देखने के बाद चेयरमैन ने यह निर्णय लिया है। जांच में एसडीओ अपने बचाव में कोई ठोस साक्ष्य नहीं दे सके।
जून 2022 में किए गए थे सस्पेंड
जून 2022 में मामला तब संज्ञान में आया जब उपखंड द्वितीय कायमगंज फर्रुखाबाद में तैनात रवींद्र प्रकाश गौतम ने अपने कार्यालय में आतंकी ओसामा बिन लादेन की फोटो लगा ली थी। ‘हिन्दुस्तान में खबर प्रकाशित होने के बाद एसडीओ रवींद्र प्रकाश को निलंबित करते हुए मामले की जांच कराने की जिम्मेदारी दक्षिणांचल विदयुत वितरण निगम को दी गई थी। जांच समिति ने एसडीओ पर छह सही पाए, जिसमें अनुशासनहीनता कर एमडी दक्षिणांचल से सीधे अश्लील व अभद्र भाषा के साथ पत्राचार करना और आतंकी ओसामा बिन लादेन का फोटो उप खंड कार्यालय में चश्पा करना प्रमुख थे।
जवाब दिया कि लादेन विश्व का सर्वश्रेष्ठ अवर अभियंता
जांच टीम को दिए गए जवाब में एसडीओ ने भारतीय संविधान में वर्णित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला दिया। लिखा कि वर्तमान शासन में बहुत से ऐसे आदरणीय हैं जो राष्ट्रपिता बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को अपना गुरु ही नहीं आदर्श भी मानते हैं, जो कि एक परम सत्य है। उनके द्वारा केवल ओसामा बिन लादेन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ अवर अभियंता ही बताया गया है जो कि परम सत्य है। उसके कार्य का वह अनुसरण नहीं करते न ही उनका वह आदर्श है। अत: लादेन की फोटो चस्पा करना गलत उद्देश्य की ओर इशारा नहीं करता है।
9/11 की घटना की घटना की अमिट छाप दिमाग में होना बताया
उन्होंने यह भी जवाब दिया कि वर्ष 2001 में जब वह सरोजनीनगर लखनऊ में तैनात थे, तभी 9/11 की घटना हुई थी। बाद में डिस्कवरी तथा अन्य चैनलों ने इसका विश्लेषण करके दिखाया जो कि उनके दिमाग में अमिट है। इसी कारण यह घटना हुई। यह भी जवाब दिया है कि लादेन और अन्य महापुरुषों की फोटो लगाने के लिए कारपोरेशन से अनुमति लेने की सारी प्रक्रिया का उन्होंने पालन किया था। कारपोरेशन से इसके लिए उन्हें कोई अनुमति नहीं दी गई।