माफी और दया नहीं चाहिए….दोषी करार दिए जाने के बाद जज के सवाल पर क्या बोले राहुल गांधी
(शशि कोन्हेर) : ‘मोदी सरनेम’ पर दिए गए विवादित बयान को लेकर सूरत की सेशन कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने उन्हें आपराधिक मानहानि केस में दोषी बताते हुए 2 साल कैद की सजा सुनाई है। हालांकि, राहुल की सजा को कोर्ट ने 30 दिन के लिए निलंबित रखते हुए जमानत दे दी है। उन्हें ऊपरी अदालत में जाने का मौका दिया गया है। कोर्ट में दोषी करार दिए जाने के बाद राहुल गांधी से भी जज ने उनकी राय पूछी, जिस पर उन्होंने कहा कि एक नेता के तौर पर उन्होंने अपना काम किया। केरल के वायनाड से सांसद राहुल ने माफी मांगने से भी इनकार किया।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वकील बाबू मंगुकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने कांग्रेस नेता को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 499 और 500 के तहत दोषी करार दिया। ये धाराएं मानहानि और उससे संबंधित सजा से जुड़ी हैं। वरिष्ठ वकील ने बताया कि कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने के 2 मिनट के भीतर ही जज ने राहुल को दोषी करार दिया।
जज ने राहुल को बताया कि उन्हें आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दोषी करार दिया गया है। इसके बाद जज ने राहुल से उनकी राय भी पूछी। मांगूकिया के मुताबिक, राहुल ने कहा कि उन्होंने किसी को अपमानित करने के मकसद से नहीं कहा था। वह एक राजनेता हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना उनका काम है, वह ऐसा करते रहते हैं। वहीं, राहुल के वकील ने यह भी कहा कि वह माफी या दया नहीं मांगते हैं। हालांकि, उनके वकील ने कहा कि चूंकि किसी की भावना को ठेस पहुंचाने के मकसद से बयान नहीं दिया गया था और शिकायतकर्ता को कोई नुकसान नहीं हुआ है, इसलिए कम से कम सजा सुनाई जाए।
राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही कैसे होता है?’ राहुल गांधी की इस टिप्पणी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी। वायनाड से लोकसभा सदस्य गांधी ने यह कथित टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी।