प्रधानमंत्री की छत्तीसगढ़ के भाजपा विधायकों से संभावित मुलाकात को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष, मोहन मरकाम ने किया तंज…लोकसभा चुनाव के पहले सांसदो को बुलाकर टिकट काटे थे अब विधायको की बारी
(शशि कोन्हेर) : रायपुर – भाजपा विधायकों के दिल्ली दौरे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा के सांसदों को दिल्ली बुलाया गया था और उनकी टिकट काट दी गई थी। अब विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा के 14 विधायकों को दिल्ली बुलाया गया है। इससे स्पष्ट है कि रमन सिंह बृजमोहन अग्रवाल अजय चंद्राकर सहित सभी विधायकों के टिकट काटने का फरमान सुना दिया जाएगा।
भाजपा के प्रदेश के नेता मोदी शाह के सामने मौनी बाबा बन जाते हैं जो भाजपा के नेता खुद के साथ हो रहे अन्याय का विरोध नहीं कर सकते। उनसे प्रदेश के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की अपेक्षा करना धोखा है। भाजपा विधायक कभी प्रदेश के हित में अपनी पार्टी के सरकार के आगे बात नहीं रख पाए हैं चाहे धान खरीदी में नियम शर्ते लगाया गया हो या धान खरीदने में रोडे अटकाया गया, समय पर खाद नहीं दिया गया, चावल की ढुलाई के लिए रैक पर नहीं दिया गया। भाजपा के विधायक हमेशा मौन रहे जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को उठाना पड़ता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा के विधायकों को निडर होकर मोदी के सामने छत्तीसगढ़ के साथ हो रहे भेदभाव का विरोध करना चाहिए। जिस प्रकार से राजभवन प्रदेश के 76 प्रतिशत आरक्षण बिल के साथ राज्य हित में पारित कई बिलों को रोककर रखे हैं उसे पारित कराने दबाव बनाना चाहिए। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के विभिन्न मदो में बकाया 55 हजार करोड़ की राशि को देने में आनाकानी कर रही है। न्यू पेंशन स्कीम की 17000 करोड से अधिक का राशि बाकी है। बस्तर में बटालियन के पीछे खर्च हुई लगभग 11000 करोड रुपए अभी तक मिला नहीं है। कोयला रॉयल्टी के 4500 करोड़ों बाकी है। उसके अलावा केंद्रीय योजनाओं की जो अंशदान है। वह भी पूर्ण रूप से भुगतान नहीं हुआ है। राज्य में एथेनॉल प्लांट लगाने की अनुमति मांगी गई है। ट्रेन कई महीने से रद्द है।
यहां के उद्योगों को कोयला नहीं मिल रहा है। इन सारे विषयों को मोदी जी के आगे रखने की भाजपा विधायकों को हिम्मत करनी चाहिए। लेकिन जो भाजपा के विधायक तो खुद के टिकट कटने के डर से ग्रसित हैं। इनसें उम्मीद नहीं है कि वह सब ईमानदारी के साथ एक जनप्रतिनिधि होने का और छत्तीसगढ़ के नागरिक होने के जिम्मेदारियों का निर्वहन कर पाएंगे मोदी सरकार की मनमानी का विरोध कर पाएंगे क्योंकि भाजपा के विधायक टिकट कटने की डर से ग्रसित है और वह प्रदेश की आवाज को मोदी शाह के सामने उठाने की साहस नहीं कर पाएंगे।