सत्ताधारी दल पर उल्टा पड़ सकता है विपक्षी नेताओं को कोर्ट-कचहरी में फंसाने की चाल….पूर्व जज ने चेताया
(शशि कोन्हेर) : बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति सत्यरंजन धर्माधिकारी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि विपक्षी दलों के सदस्यों को अदालती मामलों में उलझाना कार्यप्रणाली का दुरुपयोग है जो सत्तारूढ़ दल पर उल्टा पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “आज अलग राय रखने वालों के मुंह बंद कराने के कई तरीके हैं। इस प्रक्रिया में अगर आप किसी को टार्गेट करना चाहते हैं और उसे अदालती मामलों में फंसाते हैं, तो याद रखिए प्रक्रियाओं का यह दुरुपयोग उल्टा पड़ सकता है।
2020 में इस्तीफा दे चुके जस्टिस अधिकारी ने यह भी कहा- अगर आप ऐसी स्थिति पैदा करते हैं जहां मुख्यधारा के राष्ट्रीय और स्थानीय राजनीतिक दलों के नेताओं को इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, तो यह लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी क्षति होगी। अगर आप मुख्य नेताओं के खिलाफ ऐसा करते हैं तो कल खतरा पैदा हो सकता है और इससे तानाशाही हो सकती है। हमने कुछ मामलों (1975 के आपातकाल) में इसका अनुभव किया है।
मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी को हाल ही में दो साल की सजा सुनाए जाने के संदर्भ में पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि सूरत की अदालत कांग्रेस नेता को कम सजा सुना सकती थी। न्यायमूर्ति धर्माधिकारी मुंबई में गांधी सर्वोदय मंडल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
जब पूर्व न्यायाधीश से पूछा गया कि क्या वह वर्तमान उच्च न्यायपालिका से निराश हैं, तो उन्होंने ना में उत्तर दिया। हालांकि, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नागरिक न्यायपालिका पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
वह कहते हैं, “भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया कहा करते थे कि ‘न्यायपालिका पर अत्यधिक निर्भरता आपको लोकतंत्र से वंचित करती है।’ आपने सीजेआई को भगवान बना दिया। हमें कोई नहीं बचा सकता। गांधी और भावे ने मुद्दों को हल करने के लिए जनहित याचिका दायर नहीं की। ऐसा कहने के बाद, मैं उस बात पर भी विश्वास करता हूं जो मुख्य न्यायाधीश भरूचा ने कहा था। उन्होंने कहा था कि ‘एक जज को देखा या सुना नहीं जाना चाहिए बल्कि केवल पढ़ा जाना चाहिए’। तो क्या जजों के लिए रोज बोलना जरूरी है? मैं रोज इसलिए बात करता हूं क्योंकि कानून मंत्री कुछ न कुछ बोलते हैं!? उन्होंने साजिश रची है और हम उसमें फंस रहे हैं। हम उस जाल में गिर रहे हैं!”
न्यायमूर्ति सत्यरंजन धर्माधिकारी ने फरवरी 2020 में बॉम्बे हाईकोर्ट से इस्तीफा दे दिया था। वह उस समय हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज थे। उन्हें दूसरे राज्य में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया जा रहा था। लेकिन जस्टिस धर्माधिकारी मुंबई नहीं छोड़ना चाहते थे। वह 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बने थे। अगर वह इस्तीफा नहीं देते, तो साल 2022 में रिटायर होते।
जस्टिस धर्माधिकारी वकीलों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। जनवरी 1960 में महाराष्ट्र में पैदा होने वाले धर्माधिकारी ने वकालत की पढ़ाई बॉम्बे यूनिवर्सिटी से की थी। जून 1983 में उन्होंने वकालत शुरू कर दी थी। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पंसारे मर्डर केस की सुनवाई करते हुए अप्रैल 2018 में कहा था, आज के समय में देश में कोई भी उदारवादी सोच वाले व्यक्ति या संस्था सुरक्षित नहीं हैं।