जानिए देश में बाघों की कुल कितनी है संख्या… पीएम नरेंद्र मोदी ने कितनी संख्या होने की घोषणा की..?
(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बाघों की मौजूदा आबादी के आंकड़े रविवार को जारी किए. उन्होंने बताया कि भारत में वर्ष 2022 तक बाघों की आबादी 3,167 दर्ज की गई है. उन्होंने मैसुरु में ‘इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस’ की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने न सिर्फ बाघों को बचाया है, बल्कि उनकी आबादी बढ़ने के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी भी कायम की है.
उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की सफलता न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए गर्व का विषय है. हम पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संघर्ष में विश्वास नहीं करते; हम उनके सह-अस्तित्व को महत्व देते हैं. भारत एक ऐसा देश है, जहां प्रकृति की रक्षा करना संस्कृति का हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि जब अनेक टाइगर रिजर्व देशों में उनकी आबादी स्थिर है या आबादी घट रही है तो फिर भारत में तेजी से बढ़ क्यों रही है? इसका उत्तर है भारत की परंपरा, भारत की संस्कृति और भारत के समाज में बायो डायवर्सिटी को लेकर, पर्यावरण को लेकर हमारा स्वाभाविक आग्रह. एशियाटिक शेर रखने वाला हम दुनिया का इकलौता देश हैं. शेरों की आबादी 2015 में 525 से बढ़कर 2020 में 675 हो गई है. हमारे तेंदुए की आबादी केवल चार वर्षों में 60% से अधिक हो गई है.
उन्होंने कहा, ” बड़ी बिल्लियों की वजह से Tiger reserves पर्यटकों की संख्या बढ़ी और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है. उनकी मौजूदगी ने हर जगह स्थानीय लोगों के जीवन और वहां की इकोलॉजी पर सकारात्मक असर डाला है. दशकों पहले भारत से चीता विलुप्त हो गया था. हम इस शानदार बिग बिल्लियों को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लेकर आए हैं. ये एक बड़ी बिल्ली का पहला सफल trans-continental translocation है.”
पीएम ने कहा, ” कुछ दिन पहले ही कूनो नेशनल पार्क में 4 सुंदर शावकों ने जन्म लिया है. मानवता का बेहतर भविष्य तभी संभव है, जब हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, हमारा बायो डायवर्सिटी का विस्तार होता रहेगा. ये दायित्व हम सभी का है, पूरे विश्व का है. इसी भावना को हम अपनी G-20 अध्यक्षता के दौरान निरंतर प्रोत्साहित भी कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, ” ‘मिशन लाइफ’ यानी, लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट के विजन को समझने में भी आदिवासी समाज की जीवनशैली से बहुत मदद मिलती है. इसलिए आप सबसे मेरा आग्रह है कि आदिवासी समाज के जीवन और परंपरा से कुछ न कुछ जरूर अपने देश और समाज के लिए लेकर जाएं.”