10 मई को मतदान पर विशेष–कांग्रेस ने अपनी गलतियों से कर्नाटक की संभावित आसान जीत को, मुश्किल चुनावी टक्कर में बदल दिया
(शशि कोन्हेर) : मराठी में एक कहावत है…दैवाने दिल्ले, पण कर्मा ने नेले… मतलब ईश्वर ने बहुत कुछ दिया। लेकिन कर्मों ने वापस ले लिया। चुनावों की घोषणा के बाद से 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा की लड़ाई में कांग्रेस के एकतरफा जीत की संभावनाओं पर किसी को कोई शक सुबह नहीं था। यहां तक की तमाम राष्ट्रीय न्यूज़ चैनलों के सर्वे में भी कांग्रेस को बहुमत की ओर जाता दिखाया जा रहा था। जबकि भारतीय जनता पार्टी को 100 सीटों से 20 सीटे कम बताई जाने लगी थी। और ऐसा होना स्वाभाविक था। एक तो कर्नाटक में हर 5 साल बाद दूसरी पार्टी की सरकार को जीत दिलाने की परंपरा और दूसरे भारतीय जनता पार्टी की बोम्मई सरकार का भ्रष्टाचार। कर्नाटक चुनाव में भाजपा के विजय रथ को रोके हुए था। कांग्रेस के पूर्व सांसद और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के इन आरोपों में कोई भी संदेह नहीं था कि कर्नाटक में जो (बोम्मई) सरकार थी। उसे 40% (भ्रष्टाचार) कमीशन की सरकार माना जा रहा था। आम जनता भी सरकार के भ्रष्टाचार से आजिज आ चुकी थी। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को भी इस बात का एहसास पहले ही हो चुका था। इसलिए उसने अपनी चुनावी राजनीति के लड़ाई को एक दूसरी दिशा देने की रणनीति बनाई। और इसके तहत ही हिजाब से लेकर बजरंगबली की जय जयकार तक को उसने अपने चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा बना दिया। यह ऐसा मुद्दा था जिसकी कांग्रेस के पास कोई काट नहीं थी। अमित शाह का, कर्नाटक में मुस्लिमों को दिए जाने वाले 4% आरक्षण को खत्म कर उसे लिंगायत तथा वोक्कालिंगा समुदाय मैं बांट दिए जाने की घोषणा बहुत असरकारक निर्णय था। इससे कर्नाटक में जीत हार का फैसला करने वाले लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदाय के लोगों में भाजपा से नाराजगी कम होने लगी। इसी दम कांग्रेस ने पहली गलती की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा 4% मुस्लिम आरक्षण समाप्त करने की घोषणा के साथ ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष श्री सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने घोषणा कर दी कि अगर कांग्रेस सत्ता में वापस आती है तो भाजपा के द्वारा मुस्लिम संप्रदाय के 4% आरक्षण को समाप्त करने की घोषणा को उलट देगी। कोई भी समझ सकता है कि सिद्धारामैया और डीके शिवकुमार का यह बयान कर्नाटक के सबसे बड़े वर्ग लिंगायत और वोक्कलिंगा को नाराज कर गया होगा। इसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “जहरीला सांप” बता दिया तो उनके पुत्र ने उन्हें नालायक बेटा कह कर संबोधित किया। इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई और हिजाब के नाम पर पहले से कर्नाटक में पहले से चल रहा ध्रुवीकरण और तेज हो गया। कांग्रेस के घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध के ऐलान की गैर जरूरी पहल ने भारतीय जनता पार्टी को जो जबरदस्त मौका दिया उसका उसने बिना चुके भरपूर लाभ उठाया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं की शुरुआत बजरंगबली की जय के नारों के साथ करने लगे। हमारे यह सब कहने का यह तात्पर्य कतई नहीं है कि कांग्रेस की इन गलतियों ने कर्नाटक में दोबारा भारतीय जनता पार्टी की बनाना तय कर दिया है। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि चुनाव प्रचार के दौरान की जाने वाली ऐसी ही गलतियों से कांग्रेस कई बार ऐन चुनावी जंग के समय मुश्किलों में फंसती रही है। कर्नाटक में भाजपा की बोम्मई सरकार की बदनामी बहुत अधिक है। लोग इस सरकार और उसके भ्रष्टाचार से त्रस्त हो चुके हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सभा में उमड़ती भीड़ और दिख रहा उत्साह इसी ओर इशारा कर रहा है। सरकार के खिलाफ इतने जबरदस्त आक्रोश के बाद भी अगर कल 10 मई को होने वाले मतदान में लोग भारतीय जनता पार्टी का साथ देते हैं तो उसके लिए कांग्रेस के द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान की गई गलतियों को ही जिम्मेदार माना जाएगा।
नोट-यहां हमने देश के पूर्व प्रधानमंत्री देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री हरदनहल्ली देवगौड़ा और उनकी पार्टी जेडीएस का जिक्र इसलिए नहीं कर रहे हैं। क्योंकि उसका पूरा ध्यान इन दोनों दलों से बचाते हुए अपनी फसल को कुतरने में लगा रहा। उसे उम्मीद है कि कल मतदाता त्रिशंकु जनादेश का आदेश जारी करेंगे और ऐसे में जेडीएस एक बार फिर किंग मेकर बन जाएगी।