बिलासपुर

EXCLUSIVE INTERVIEW : “टीएस सिंह देव कोई आयाराम या गयाराम नहीं है”, अपने राजनीतिक जीवन में भाजपा को कभी इतना कमजोर और लाचार नही देखा : टीएस सिंहदेव

(इरशाद अली संपादक लोकस्वर टीवी के साथ सुशांत सिंह ठाकुर) : बिलासपुर। भारतीय राजनीति में कोई भी नेता खुद से मुख्यमंत्री नहीं बन जाता है उनके पद को संगठन और सीनियर लीडर तय करते हैं। खासकर कांग्रेस और भाजपा में यही होता है।जबकि क्षेत्रीय दलो में यह व्यवस्था नहीं है वहां जो भी पार्टी का प्रमुख होता है वही मुख्यमंत्री का दावेदार होता है और मुख्यमंत्री भी बनता है।छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल स्वाभाविक रूप से फिर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे,मगर वे सीधे शपथ नहीं ले लेंगे उसके पहले पार्टी के बड़े नेता और संगठन उनके दोबारा मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर पहले विचार-विमर्श करेंगे। टी एस सिंहदेव आयाराम,गयाराम की राजनीति नहीं करता है।जिस तरह उत्तर प्रदेश,पंजाब,हरियाणा में नेताओं का दूसरे दलों में आना जाना आम बात है उस तरह की राजनीति बाबा ने कभी पसंद नहीं की। वैसे भी इस तरह की राजनीति से वे परहेज भी करते रहे है। तमाम लोगों ने खुद से ही आकलन कर लिया कि टी एस सिंह देव इधर उधर जा सकते हैं उन लोगों के मन में कुछ इसी तरह की बातें चल रही है ये सच है कि उन्हें इस तरह के कई प्रस्ताव मिले हैं मगर लोगों ने खुद से विश्लेषण कर लिया बाबा ने क्या सोचा है उसकी चिंता किसी ने नहीं की। पहले भी वे राजनीति में नहीं आना चाहते थे अब हैं तो भी इस तरह की राजनीति करने के लिए नहीं है। संयोग से हल्के विचार वाला नहीं हूं राजनीति में नहीं रहूंगा यह चलेगा मगर पद पाने के लिए भाजपा में नहीं जाने वाला। दिल्ली में अशोका होटल के अंदर हुई शिष्टाचार बैठक में भी इस तरह की बात हो चुकी है। हालांकि विश्लेषक खिचड़ी पकने की बात जरूर कह रहे हैं मगर उन्होंने उस बैठक में दल की बंदिश से बाहर जाकर मात्र शिष्टाचार निभाया था यह कहना है टी एस बाबा का। फुर्सत के पल में अम्बिकापुर के तपस्या भवन में लोकस्वर से बातचीत करते हुए बाबा ने अपनी राजनीति,परिवार, छत्तीसगढ़,केंद्र की राजनीति पर खुलकर बातें की।उन्होंने विभाग की योजनाओं को लेकर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस ने राजाओं की सारी रियासतें छीन ली उसी कांग्रेस में 117 वीं पीढ़ी अब भी बनी हुई है।आजादी के बाद से ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ जिसमें राजा परिवारों को कांग्रेस ने अहमियत न दी हो उन्हें विधायक सांसद ना बनाया हो। उन्होंने कहा कि सरगुजा संभाग कांग्रेस के साथ हैं।यहां कांग्रेस की जड़ें मजबूत है हालांकि भाजपा और आरएसएस का भी अपना प्रभाव बना हुआ है।

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि पिछली बार कांग्रेस ने कई विधानसभा सीटें बड़ी मार्जिन से जीती हैं इसलिए कांग्रेस को ओवरकॉन्फिडेंस में नहीं रहना चाहिए।कई सीटें जहां जीत का मार्जिन 5 से 10 हज़ार के बीच था वहां खूब मेहनत करने की ज़रूरत है। पहले की तरह विधायकों के आंकड़े नहीं आने वाले मगर सरकार कांग्रेस की ही बनेगी और आंकड़ा 50 से ऊपर हो सकता है। मंत्रियों के निवास में चल रही डिनर पॉलिसी को लेकर उन्होंने कहा की कलेक्टिव लीडरशिप के लिए साथ में सभी को बैठ कर चर्चा करनी होगी तभी सफलता मिलेगी।हालांकि जोगी शासनकाल में पहले ऐसा नहीं होता था क्योंकि वह बड़े लीडर थे। मगर आज की स्थिति में कलेक्टिव लीडरशिप की आवश्यकता महसूस की जा रही है।उन्होंने कहा कि 2018 में स्वीकार्य विकल्प के रूप में कांग्रेस ने खुद को प्रस्तुत किया था जिसमें सफल हुए थे आखिरी समय में उस समय भी कोई भी अलग नहीं चला, सबकी एकजुटता ने कांग्रेस को इतनी बड़ी जीत दिलाई थी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कठोर हिंदुत्व की राजनीति कांग्रेस नहीं कर रही है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने वही किया जो उसे करना चाहिए। भाजपाई कांग्रेस के वोट बैंक को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे है इसीलिए सबको साथ लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।

सिंहदेव ने कहा कि वर्तमान में कांग्रेस का पक्ष काफी मजबूत है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में भाजपा को इतना निष्क्रिय कभी नहीं देखा।उन्होंने बताया कि इस समय भाजपा का मनोबल टूटा हुआ है। 15 साल सत्ता में रहने के बाद वे कभी नहीं सोचे होंगे कि उनकी संख्या 15 विधायकों तक सिमट जाएगी।साढ़े चार साल के भीतर तीन उपचुनाव हुए तीनों में कांग्रेस को फायदा मिला। अब भाजपा के 15 में से 14 विधायक ही बचे हैं। यही कारण है कि वे चाहकर भी उठ नहीं पा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस को इस मामले में ओवर कॉन्फिडेंट होने की जरूरत नहीं है। वर्तमान में प्रदेश प्रभारी शैलजा नेताओं के बीच कोआर्डिनेशन बनाने का काम कर रही हैं सभी 5 संभाग में सम्मेलन हो चुके है अब सेक्टर और जोन स्तर की बैठक होने वाली है। आगामी चुनाव में एक तरफ कांग्रेस की उपलब्धि बताने का प्रयास किया जाएगा तो वहीं कांग्रेस संगठन को भी मजबूत करने की रणनीति तय की गई है।

उन्होंने कहाकि भाजपा कार्यकाल में कार्यकर्ताओं के बीच पनपा असंतोष भाजपा की दुर्गति का कारण बना है। उन्होंने रायगढ़ की एक मीटिंग का भी जिक्र किया जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था 1 साल तक कमीशन लेना छोड़ दो हम जीत कर फिर से वापस आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा संगठन और आरएसएस की गतिविधियों में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई थी। उधर जहां भाजपा में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही थी इधर भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संगठन को मजबूत कर रहे थे, आंदोलन कर रहे थे।वही उन्हें घोषणा पत्र बनाने की जिम्मेदारी मिली जिसे जन घोषणा पत्र कहा गया।उन्होंने इसकी शुरुआत बिलासपुर से की थी। तीन स्तर पर जन घोषणापत्र बनाया गया था जिसमें विशेषज्ञों से चर्चा, पार्टी की राय, और लोगों की मंशा क्या है इसी पर आधारित जन घोषणा पत्र तैयार किया गया था। इसमें प्रमुख लक्ष्य 36 और 280 बिंदु पर कार्य किया गया। तय अधिकांश लक्ष्य और वायदे पूरे हुए। बाबा ने कहा कि अब समय नहीं रह गया इसलिए इस बार उस तरह का जन घोषणा पत्र नहीं बना बनाया जाएगा, क्योंकि इसमें 9 से 10 महीने लगते हैं। उन्होंने देश की राजनीति को लेकर चिंता व्यक्त की कहा की है स्पष्ट होना चाहिए कि देश में परिवर्तन लाने के लिए क्या किया जा रहा है। अगर आप परिवर्तन लाने जा रहे हो तो क्या क्या करने जा रहे हो यह सब को पता होना चाहिए। हिंदू राष्ट्र और अखंड भारत का स्वरूप कैसा होगा। आज के समय में अखंड भारत को स्थापित करना क्या उचित है,यह समझना पड़ेगा। अंतर्राष्ट्रीय मंच क्या इस तरह की चीजें होने देगा। क्योंकि अभी तक हम एक कश्मीर में ही उलझे हुए हैं और यहां अखंड भारत और हिंदू राष्ट्र बनाने की बात चल रही है। उन्होंने कहा कि मैं इससे सहमत नहीं हूं और ना ही किसी को होना चाहिए। आयुष्मान योजना को लेकर भाजपाइयों द्वारा जनता को गुमराह किए जाने की बात कहते हुए कहा कि केंद्र सरकार की योजना को लेकर भाजपा के नेता कहते हैं कि आयुष्मान कार्ड बंद कर दिया गया है। दरअसल भाजपा के नेता जनता को गुमराह कर रहे है। उन्होंने बताया कि आयुष्मान कार्ड एक योजना है जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में लागू की गई थी जिसे आरएसबीवाई का नाम दिया गया था। इसमें केंद्र सरकार 50 हज़ार रुपए तक इलाज का प्रावधान किया था।छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के कार्यकाल में भी यही चला। फिर केंद्र में मोदी की सरकार आई जिसने आयुष्मान योजना को 5 लाख तक इलाज करने वाला बना दिया। मगर इसमें केंद्र सरकार की ओर से मात्र 50 हज़ार रुपए ही दिए जाते हैं। आयुष्मान योजना में केंद्र सरकार 5 लाख नहीं बल्कि प्रीमियम देती है। पहले ₹300 दिया जाता था इंश्योरेंस कंपनी को अब 1102 रुपए केंद्र सरकार देती है। 2012 के गरीबी रेखा के सर्वे में जिन जिन लोगों के नाम थे उन्हीं लोगों को यह सुविधा मिल रही थी इधर भूपेश बघेल सरकार ने इस जारी अपने कार्यकाल में आरएसबीवाई को उन लोगों से जोड़ दिया जिनके पास एक रुपए किलो वाला राशन कार्ड है इसका मतलब अब छत्तीसगढ़ सरकार इसका लाभ 38 लाख परिवारों से बढ़ाकर 60 लाख परिवारों को देने लगी है, जबकि इसके एवज में केंद्र सरकार मात्र 38 लाख परिवारों के मान से मात्र 300 करोड रुपए उपलब्ध कराती है। जबकि लगभग 11 सौ करोड रुपए राज्य सरकार शामिल करती है। इसलिए भाजपा के नेताओं को तो छत्तीसगढ़ में अधिकार ही नहीं है कि वह कहें कि आयुष्मान कार्ड बंद कर दिया गया है या उसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। उसका लाभ 3 गुना अधिक छत्तीसगढ़ सरकार अपनी राशि से लोगों को उपलब्ध करा रही है। इसीलिए राज्य सरकार ने इसका नाम खूबचंद बघेल योजना दे दिया है। इसी तरह धान खरीदी को लेकर भी भाजपा के नेता गलत प्रचार प्रसार करते हैं। धान खरीदने का काम राज्य सरकार करती है।बैंकों से पैसा उधार लेती है और धान खरीदती है। धान खरीदने के बाद उसको चावल बनवा कर चावल बेचती है और उससे मिलने वाले पैसे को वापस बैंक में जमा करती है।उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव समेत तमाम नेता गलत बयान करके अपनी खुद की फजीहत जनता के बीच करा रहे हैं।

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